प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ कृष्ण पक्ष दशमी तिथि विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 24 जनवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण
*१२७५ वां* सार -संक्षेप
यह आनन्दमय संयोग है कि ये अत्यन्त लाभकारी सदाचार संप्रेषण हमें प्राप्त हो रहे हैं
हमें इनका श्रवण कर लाभ उठाना चाहिए हम सौभाग्यशाली हैं कि आचार्य जी नित्य हमें प्रबोधित उत्साहित उत्थित कर रहे हैं हम इस कारण भी सौभाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म ऋषियों द्वारा रचित इस देश में हुआ है यहां अनेक तपस्वी महापुरुषों ने जन्म लिया
कल आचार्य जी ने मानस के उस प्रसंग की चर्चा की थी जिसमें लक्ष्मण भगवान् राम से पूछ रहे हैं कि ज्ञान और भक्ति क्या हैं
ज्ञान में विचार प्रमुख है जब कि भक्ति में भाव प्रमुख है
विद्या अविद्या में विभाजित ज्ञान जानकारी है भक्ति एक ऐसी शक्ति है जो समर्पित हो जाती है ज्ञानी इतिहास लिखता है
भक्त इतिहास का निर्माता है
भक्ति मनुष्य के लिए अनिवार्य है भले उसमें कितने गुण हों
जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई। धन बल परिजन गुन चतुराई॥
भगति हीन नर सोहइ कैसा। बिनु जल बारिद देखिअ जैसा॥3॥
जाति, पाँति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुम्ब, गुण और चातुर्य के होने पर भी भक्ति से रहित मनुष्य उसी की तरह लगता है, जैसे जल से विहीन बादल शोभाहीन दिखता है
जब भक्ति के प्रसंग भावसहित भजे जाते हैं तो शक्ति प्राप्त होती है भक्तिमय शक्ति अद्भुत होती है व्यक्ति सब परिस्थितियां भूल जाता है वह विशेष भाव में रहता है
भक्ति नौ प्रकार की कही गई है
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा। दूसरि रति मम कथा प्रसंगा॥ आदि
नव महुँ एकउ जिन्ह कें होई। नारि पुरुष सचराचर कोई॥3॥
मुझे वही अत्यंत प्रिय हो जाता है और जिनमें सभी प्रकार की भक्ति दृढ़ है तो जो गति योगियों को भी दुर्लभ है, वही गति उनके लिए सुलभ हो जाती है
मानस में ज्ञान और भक्ति के अनेक प्रसंग है मां शबरी का प्रसंग है
कंद मूल फल सुरस अति दिए राम कहुँ आनि।
प्रेम सहित प्रभु खाए बारंबार बखानि॥34॥
यहां प्रेम की पराकाष्ठा दिखी
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया सपन कुमार जी भैया मनीष कृष्णा जी का नाम क्यों लिया क्या शबरी ने भगवान् को जूठे बेर खिलाए थे विद्यालय में रामकथा से क्या प्रभाव हुआ जानने के लिए सुनें