25.1.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का माघ कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 25 जनवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१२७६ वां* सार -संक्षेप

 भारत के शौर्य जगो निष्ठा जागो तप त्याग जगो

संपूर्ण समर्पण वाले दृढ़  अनुराग जगो

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जागो  रे हरि सिंह नलवा वाले विक्रम 

राणा सांगा के अतुलनीय आवेश जगो

राणा प्रताप की आन बान अभिमान जगो

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प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि विक्रमी संवत् २०८१  तदनुसार 25 जनवरी 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२७६ वां* सार -संक्षेप


एक अद्भुत ईश्वरीय व्यवस्था के अन्तर्गत प्राप्त ये सदाचार संप्रेषण हमें विषम परिस्थितियों से जूझने की शक्ति देते हैं हमें  जो हर भारत -भक्त हताश की आशा हैं उस कर्मपन्थ पर चलने का हौसला देते हैं जिससे उस निराश भारत -भक्त की निराशा दूर हो सके आत्मबोधोत्सव मनाने का उत्साह देते हैं अपने को पहचानने का मार्ग दिखाते हैं कि हम पौरुष शक्ति पराक्रम के वही प्रतीक हैं जो समराङ्गण में शत्रु के वारे न्यारे करने में सदैव समर्थ सक्षम रहे हैं

आइये नीराजना करते हुए प्रवेश करें आज की वेला में


अपने को पहचानो प्यारे 

मैं हवन -गंध मैं यज्ञ -अर्चि मैं सामगान मैं ऋषि महर्षि 

मैं पौरुष शौर्य पराक्रम हूं अनुशासन का मैं अनुक्रम हूं..


आज की परिस्थितियां ऐसी हैं कि हमें अपने को पहचानने की आवश्यकता है हमने उस अद्भुत देश भारत में जन्म लिया है जिसने अनेक अनुसंधान किए क्षेत्र चाहे अध्यात्म हो गणित हो विज्ञान हो आयुर्वेद हो ज्योतिषी हो मनुष्य को मनुष्यत्व की अनुभूति कराई

हमने ही बताया कि हम अंशी के अंश होने के कारण सब कुछ करने में सक्षम हैं हमारा सनातन धर्म अक्षुण्ण है

आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि हम परमार्थ मन्त्र जपने वाले सरल संन्यासी बनें शौर्य प्रमंडित अध्यात्म की अनुभूति करते हुए और विकट परिस्थितियां देख भागें नहीं अपितु अपने लक्ष्य का ध्यान रखें कि वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः,अपने सद्गुण का विस्तार करें आत्मशक्ति आत्माभिव्यक्ति को मां भारती के सामने प्रस्तुत करें देश और समाज के कल्याण के लिए संगठित रहें अपने कुल वंश परिवार परम्परा का परिपालन करें 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने माया का अर्थ बताया २ फरवरी २०२५ को काव्योत्सव को उत्साह से मनाने का मन्त्र दिया 

भैया राघवेन्द्र जी भैया आलोक जी भैया दिनेश प्रताप जी भैया विकास जी भैया डा पंकज जी का नाम आचार्य जी ने क्यों लिया  सखा और सरवा में क्या अन्तर है शृङ्गार शक्ति कैसे है जानने के लिए सुनें