26.1.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का माघ कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 26 जनवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१२७७ वां* सार -संक्षेप

 जो करता है परमात्मा करता है 

और परमात्मा सब अच्छा ही करता है 


प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि विक्रमी संवत् २०८१  तदनुसार 26 जनवरी 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२७७ वां* सार -संक्षेप


*हमारे देश की धरती गगन जल सभी पावन हैं* 

*सभी  सुन्दर सलोने शान्त सुरभित मञ्जु भावन हैं*

*यहां पर जो रमा मन बुद्धि आत्मिक अतल की गहराई से* 

*उसको लगा करती धरा माता  सुजन सब भाई से*

*पर सिर्फ धन की प्राप्ति जिनका जन्मजात स्वभाव है* 

*उनको सदा दिखता यहां सर्वत्र अमिट अभाव है*

हमको यहां अभाव न देखकर भारत का प्रभाव देखना है इस प्रभाव का भाव हमारे भीतर प्रविष्ट हो हम भारत -भक्त बनें यह अनुभूति करें कि हम तो राम-काज के लिए जन्मे हैं 

कुशंकाओं से भरे इस कलियुग में जिसमें विश्वास एक दुर्लभ भाव बोध है हम परमात्मा पर विश्वास करते हुए भक्तिपूर्ण ढंग से उस पर आश्रित रहें प्रेम आत्मीयता का प्रसार करें व्यसनों से दूर रहें हमें निर्भरा भक्ति (भक्ति ही श्रद्धा है प्रेम है शृङ्गार है विश्वास है )में डूबने का अवसर मिले हमारे मन काम आदि षड्विकारों से मुक्त रहें आचार्य जी नित्य यही प्रयास करते हैं हमें प्रबोधित करते हैं  और उत्साहित करते हैं 


उत्साहसम्पन्नमदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेष्वसक्तम्, शूरं

कृतज्ञं दृढसौह्रदं च लक्ष्मीः स्वयं याति निवासहेतोः ll 

आचार्य जी ने इसकी व्याख्या करते हुए बताया कि लक्ष्मी ईश्वर का सहारा है लक्ष्मी के माध्यम से ही परमात्मा सृष्टि रचता है

इसके अतिरिक्त आचार्य जी को भैया नीरज कुमार जी ने कौन सी pdf file भेजी भैया शैलेन्द्र पांडेय जी ने शत्रुघ्न की चर्चा क्यों की 

भैया डा मलय जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें