28.1.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का माघ कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 28 जनवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१२७९ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि विक्रमी संवत् २०८१  तदनुसार 28 जनवरी 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२७९ वां* सार -संक्षेप

हमारी परंपराओं का स्मरण कराने वाले ये सदाचार संप्रेषण इतने अद्भुत हैं कि सात्विक वृत्ति के हम लोग नित्य इनकी प्रतीक्षा करते हैं संसार जब आधिक्य के साथ हमसे संयुत हो जाए तब इनकी शरण में आना श्रेयस्कर है कुछ क्षणों के लिए संसारी भाव से हटने का प्रयास करना चाहिए 

यद्यपि चंचल मन को वश में करना वायु को वश में करने से भी अधिक कठिन है इसी के आधार पर महाभारत के माध्यम से यह समझाया गया है कि संसार एक युद्धस्थल है जिसमें हमें संघर्ष करना है बिना संघर्ष के संसार में कुछ नहीं है हमें अपनी भूमिका पता होनी चाहिए हमें रामत्व की अनुभूति होनी चाहिए 

राम और राम का परिवार भारत के लिए एक आदर्श है और जब जब भारत संकटग्रस्त हुआ है तब तब राम और राम के परिवार का स्मरण हुआ है राम -परिवार में चार पात्र मुख्य रूप से उल्लेखनीय हैं राम लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न और  उन चारों में अगाध प्रेम रहा है 

गोस्वामी तुलसीदास ने उसी तरह के एक संकट  (जब कुटिल अकबर का शासन था )में हमारे सामने प्रस्तुत कर हमें एक बार फिर  उनकी याद दिला दी

शत्रुघ्न अत्यन्त बलशाली किन्तु शांत 

सदैव युद्ध के लिए उत्साहित चरित्र हैं 

अद्भुत शक्ति -पुञ्ज 

उन्हें सुप्त ज्वालामुखी कहा जा सकता है 

जाके सुमिरन तें रिपु नासा। नाम सत्रुहन बेद प्रकासा॥

 जिनके स्मरण मात्र से शत्रु का नाश होता है, उनका वेदों में सुविख्यात 'शत्रुघ्न' नाम है।


पुराणों के अनुसार शत्रुघ्न भगवान नारायण के प्रमुख अस्त्र सुदर्शन चक्र के अवतार थे।

जब नन्दिग्राम में भरत तपस्वी रूप में रहे हैं शत्रुघ्न के ही सिर पर संपूर्ण अयोध्या का भार रहा है 

साथ ही माताओं की देखभाल भी उन्होंने की 

उनका पराक्रम ही कहा जायेगा कि अयोध्या पूर्णत सुरक्षित रही।

 वे सेवा के एक अप्रतिम स्वरूप हैं

शत्रुघ्न की पत्नी का नाम श्रुतकीर्ति था जो कुशध्वज की बेटी थीं l


इसके अतिरिक्त संध्या क्यों अनिवार्य है भैया शैलेन्द्र पांडेय जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें