30.1.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का माघ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 30 जनवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१२८१ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८१  तदनुसार 30 जनवरी 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२८१ वां* सार -संक्षेप


आचार्य जी नित्य हमें  जाग्रत उत्थित उत्साहित करते हैं शौर्य अर्जित कराते हैं यह हमारा सौभाग्य है आचार्य जी कहते हैं 

*जलता रहा अभी तक अब भी सतत जलूंगा* 

*जिस मोड़ पर रुकोगे उस पर वहीं मिलूंगा*

इन तात्त्विक वेलाओं के माध्यम से आचार्य जी हमें भटकने से बचाते हैं और हमसे अपेक्षा करते हैं कि 

आत्मशक्ति -प्राप्ति के लिए अध्ययन, स्वाध्याय,चिन्तन, मनन और लेखन के साथ 

संगठन के महत्त्व को हमें समझकर संगठित रहना है एक दूसरे की सहायता करते रहना है

अपनी भूमिका को समझकर पूर्ण प्रमाणिकता से उसका निष्पादन करना है

उमंग से भर सन्मार्ग पर चलना है अंधकार को चुनौती देते हुए अपना प्रकाश फैलाना है समस्याओं के आगे झुकना नहीं है भावी पीढ़ी के भय भ्रम को दूर कर उसे जूझना सिखाना है


विश्व भर की आशा बने भारत को संवारने का काम जारी रखना है

अध्यात्म जो विचित्र संसार जिसे कोई सत्य कहता है, कोई मिथ्या बतलाता है और कोई सत्य—मिथ्या से मिला हुआ मानता है  तुलसीदास जिनमें अध्यात्म बहुत गहराई तक प्रविष्ट था के मत से तो जो इन तीनों भ्रमों से निवृत हो जाता है वही अपने असली स्वरूप को पहचान सकता है।

(कोउ कह सत्य, झूठ कह कोऊ, जुगल प्रबल कोउ मानै।

तुलसिदास परिहरै तीन भ्रम, सो आपन पहिचानै॥)

 और इसी संसार जिसमें माया जो वास्तव में है ही नहीं दिखलाई देती रहती है 

*सून्य भीति पर चित्र, रंग नहिं, तनु बिनु लिखा चितेरे*

 और सार दोनों को संयुत करता है को समझकर संसार में रहने की युक्ति जान लेने वाले पुरुष बनना है

यह संसार तो ऐसा है जिसमें जो होना होता है वह होकर रहता है शौर्यप्रमंडित अध्यात्म यही कहता  है कि होनी को कोई नहीं टाल सकता है प्रयागराज में कुम्भ की ही दुर्घटना देखिए जिसने हम सब राष्ट्र -भक्तों को दुःखी कर दिया 

व्यास जी महाराज ने भी कुंती को यही समझाया कि होनी टल नहीं सकती थी 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मुकेश जी की चर्चा क्यों की कवि -गोष्ठी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें