1.2.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का माघ शुक्ल पक्ष तृतीया विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 1 फरवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१२८३ वां* सार -संक्षेप

 ओ भारत के सपूत जागो तन्द्रा त्यागो, आचरण-शुद्धता पर पूरा विश्वास करो। 

 शुचिता, कर्मठता, आत्मतोष अपना धन है, इस धन से मानव-जीवन का दारिद्र्य हरो।।

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ शुक्ल पक्ष तृतीया

( माघ गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन )

 विक्रमी संवत् २०८१  तदनुसार 1 फरवरी 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२८३ वां* सार -संक्षेप


कर्म -कौशल के साथ संयुत रहकर हमें कर्मानुरागी बनाने का भारतीय संस्कृति के सामगान के चारण  भावों से परिपूर्ण क्रान्ति -मन्त्र के उच्चारण आचार्य जी का नित्य का यह प्रयास अद्भुत है इन वेलाओं को यदि हम मनोयोग से सुनेंगे तो हमें अत्यन्त लाभ पहुंचेगा

आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि हम तप और संयम का विग्रह बनें राष्ट्र -यज्ञ के पुरोहित बनें बलिदानी सुधियों के नियमित तर्पण वाले कर्मयोगी बनें निर्बलों का बल बनें 

पङ्किल सरोवर में खिले हुए कमल बनें 

स्रष्टा द्वारा रची सत् और तम से युक्त यह सृष्टि अद्भुत है जिसमें सदैव भा में रत भारत भौतिक आंधी से कांपती संपूर्ण धरती का विश्वास है उसका सहारा है उसका रक्षक है 

हमारी परम्परा अद्भुत रही है हमारा साहित्य अद्वितीय है 

अपने साहित्य में गहराई से प्रवेश करने पर हम अपनी व्याकुलता शमित कर सकते हैं

यदि हम तुलना करें तो पाएंगे कि पश्चिम केवल भोगभूमि है संयम उनके लिए एक विवशता है उन्होंने जग के विनाश का निश्चय कर रखा है और हम कर्मभूमि पर उपजी तप की माटी हैं हम चिदाकाश में निर्भय होकर विचरण करते हैं हमें अन्तर्दृष्टि मिली है हम जानते हैं कि अन्तर्दर्शन से ही अंधकार का नाश होता है

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बताया कि कविता ईश्वर की सारस्वत विभूति है आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम लेखन -योग का आश्रय लें क्योंकि शब्द सरस्वती मैया की मूर्तियां हैं हम उनका सृजन करें दर्शन करें और फिर आनन्द लें हमें यह तीर्थ स्थान जैसा लगेगा 

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का कविता से क्या संबन्ध है 

क्या  भैया डा पङ्कज जी कल कवि -गोष्ठी में नहीं आ पा रहे जानने के लिए सुनें