भारत के शौर्य जगो निष्ठा जागो तप त्याग जगो
संपूर्ण समर्पण वाले दृढ़ अनुराग जगो
ओ जगो वेन कुलनाशी ऋषि के आक्रोश
वनवासी रघुकुल राम भरत के त्याग जगो
ओ कुरुक्षेत्र वाले गीता उपदेश जगो
गांडीव गर्जना शौर्य शक्ति संदेश जगो
प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज फाल्गुन कृष्ण पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 25 फरवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण
*१३०७ वां* सार -संक्षेप
ये सदाचार संप्रेषण अद्भुत हैं हम इनके नित्य श्रोता बनें, हमारा स्वभाव इन्हें नित्य सुनने का बन जाए तो लाभ पहुंचेगा प्रतिफल अवश्य मिलेगा
जीवनदर्शन की शिक्षा देने में अनवरत रत आचार्य जी प्रयास करते हैं कि इन्हें सुनकर भारतराष्ट्रभक्तों की पीर जानते हुए दुष्ट शक्तियों जिनके कारण ही
सुर मुनि गंधर्बा मिलि करि सर्बा गे बिरंचि के लोका।
सँग गोतनुधारी भूमि बिचारी परम बिकल भय सोका॥
भय और शोक से अत्यंत व्याकुल बेचारी पृथ्वी भी गो का शरीर धारण किए हुए उनके साथ थीं,के शमनार्थ हम आत्मशक्ति के साथ सांसारिक शक्ति की भी वृद्धि करें संसार के साथ साथ सार को भी जानें, जीवन को व्यवस्थित करें
सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत् सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः वाला भाव रखें ताकि हम बोझिल न रहें अपितु आनन्द के अर्णव में तिरें
जड़ चेतन गुन दोषमय बिस्व कीन्ह करतार। संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि बारि बिकार॥ को ध्यान में रखते हुए
ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन अमल सहज सुख रासी' की अनुभूति करें
अध्ययन लेखन में रुचि जाग्रत करें एकांत में स्वाध्याय करें भय भ्रम त्यागें
पृथ्वी को हम अपनी मां मानते हैं
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडले, विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे
'हे माता पृथ्वी, मैं आपको प्रणाम करता हूँ। कृपया मुझे क्षमा करें, क्योंकि मेरे चरण आपको स्पर्श करने वाले हैं
हमारे यहां पृथ्वी देवताओं की जननी भी मानी गई हैं और समुद्र की मेखला धारण करने वाली कही गई हैं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया विशाल पोरवाल जी का नाम क्यों लिया, दूसरे वाले संतोष मिश्र जी कौन हैं,प्रज्ञा प्रवाह क्या है, कामधेनु तन्त्र की चर्चा क्यों हुई क्या मायामय भक्ति भी होती है जानने के लिए सुनें