5.2.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 5 फरवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१२८७ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी विक्रमी संवत् २०८१  तदनुसार 5 फरवरी 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२८७ वां* सार -संक्षेप

ये सदाचार वेलाएं जिनकी नियमितता की रक्षा परमात्मा कर रहा है हमें अत्यन्त प्रेरित प्रभावित करती हैं इसी कारण नित्य हमें इनकी प्रतीक्षा रहती है प्रतीक्षा की घड़ियां समाप्त हुईं आइये प्रवेश करें आज की वेला में 


पं दीनदयाल जी की हत्या के कारण जब संकल्प लिया गया कि दीनदयाल जी के विचारों  विश्वासों योजनाओं का प्रकटीकरण होना चाहिए तो विद्यालय की योजना बनी उसकी रचना हुई वह विद्यालय अर्थात् 

पं दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय  एक ऐसी भावभूमि के रूप में हमारी स्मृतियों में है और रहेगा भी जहां से हमारा आत्मबोध जागा है इस विद्यालय ने सिद्ध किया कि शिक्षा संस्कार है विचार है व्यवहार है और मनुष्य को मनुष्यत्व की अनुभूति कराने का आधार है


हम जब यह अनुभूति करेंगे कि हम उस परम शक्तिशाली विभु आत्मा का अंश हैं तो हमें शक्ति सामर्थ्य की अनुभूति होगी हम अपने अंदर की क्षमता को पहचान सकेंगे जैसे हनुमान जी तो समुद्र लांघ गए थे नाली तो हम भी लांघ ही लेते हैं ऐसी प्रेरणा जहां से मिले जिस कार्यक्रम से मिले उसे नहीं छोड़ना चाहिए जिस स्थान से मिले वहां अवश्य पहुंचना चाहिए एक ऐसा ही अवसर ७ फरवरी को चित्रकूट पहुंचने का मिल रहा है चित्रकूट भगवान् राम का निवासस्थान रहा है उन्होंने ऋषियों  मुनियों के साथ जीवन को समरस करके एक आदर्श प्रस्तुत किया है नाना जी ने भी अपने विचारों का वहां सेतु स्थापित किया है 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने हाल में सम्पन्न हुए कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले भैया अतुल भैया उत्कर्ष भैया प्रख्यात मिश्र जी की चर्चा क्यों की महाराणा प्रताप गुरु गोविन्द सिंह का उल्लेख क्यों हुआ सामञ्जस्य बैठाने पर बार बार आचार्य जी ने जोर क्यों दिया जानने के लिए सुनें