जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल। चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥
प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ शुक्ल पक्ष नवमी विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 6 फरवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण
*१२८८ वां* सार -संक्षेप
आचार्य जी नित्य प्रयास करते हैं कि इन सदाचार संप्रेषणों को सुनकर हमारे अन्दर कर्म का इतना अधिक भाव भर जाए कि हम अपने परिवारों में भी कर्मचैतन्य का भाव भरते हुए आजीवन राष्ट्र और समाज के लिए कार्य करते रहें
राष्ट्र विरोधी दुष्टों के शमन दमन के लिए उन्हें निर्मूल करने के लिए स्थान स्थान पर संगठनों का निर्माण करते रहें
विविधता भरे साज सज्जा युक्त इस संसार में हम लोग प्रायः सार का त्याग कर असार की ओर आकर्षित होते हैं किन्तु जब हम असार के आधिक्य से व्याकुल होते हैं तो परमात्मभक्ति हमें संतुष्ट करती है
हम लोग उस समय भावना से भरे आशा से परिपूर्ण भाषा की अभिव्यक्ति करने वाले भक्ति शक्ति पराक्रम विश्वास संयम साधना तप त्याग से युक्त एक ऐसे भक्त बन जाते हैं जब भा की अनुभूति कराने वाले भारत का चिन्तन भगवान् के रूप में करते हैं पूर्ण प्रलय तक अक्षर रहने वाले उस भारत
(गायन्ति देवाः किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे, स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात् ll
विष्णुपुराण २/३/२४)
में अनेक तीर्थस्थान हैं इसका कण कण परम पवित्र है कवि श्यामनारायण पांडेय ने चित्तौड़ को ही तीर्थराज कह दिया है
मुझे न जाना गंगासागर, मुझे न रामेश्वर, काशी। तीर्थराज चित्तौड़ देखने को मेरी आँखें प्यासी॥
आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि बहुत समय पहले के भारत के भौगोलिक विस्तार के बारे में चिन्तन करते हुए वर्तमान समय के भारत से तुलना करके हम निराश हताश न हों अन्यथा इससे हमें ही हानि पहुंचेगी यह हमारा आत्मबोध क्षीण करेगा वर्तमान समय की तरह ही संयमी साधक आदि शंकराचार्य के समय भी ऐसी ही भीषण परिस्थितियां थीं उन्हें अनेक अवरोध झेलने पड़े तब उन्होंने एकांत में बैठकर कहा
.....न च व्योम भूमिर्न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥1॥
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने चित्रकूट के बारे में आज क्या बताया नानाजी देशमुख की माता जी की मृत्यु कैसे हुई क्या कल्कि हमारे भीतर ही विद्यमान हैं जानने के लिए सुनें