9.2.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का माघ शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 9 फरवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१२९१ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८१  तदनुसार 9 फरवरी 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२९१ वां* सार -संक्षेप

स्थान : प्रेरणा भूमि  चित्रकूट


विद्या और अविद्या दोनों में ही पारङ्गत, विचारशील, साधना में रत, व्यावहारिक ज्ञान में अद्वितीय आचार्य जी नित्य हमें जाग्रत उत्थित उद्बोधित करते हैं हमें भय दंभ और भ्रम से मुक्त करते हैं हमें हीनभावना से ग्रसित होने से बचाते हैं यह हमारे साथ हमारी आने वाली पीढ़ी का भी सौभाग्य है

आइये अज्ञानता, जिसमें यह भी सम्मिलित है कि इतने अधिक ज्ञान से परिपूर्ण हमने अपने साहित्य की उपेक्षा की अपनी भाषा अपने विज्ञान की उपेक्षा की, का आवरण  हटाने के लिए प्रवेश करें आज की वेला में 


भगवान् श्रीकृष्ण की भक्ति के साथ भगवान् राम के द्वारा प्राप्त शक्ति हम भक्तों को अपार शक्ति प्रदान करती है और उस शक्ति का आश्रय लेकर संसार की बड़ी से बड़ी समस्याओं से हम मुक्ति पा लेते हैं

हमें सदैव ध्यान रखना चाहिए कि 

ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्। तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम् ॥

यह सारा संसार ही ईश्वर से व्याप्त है  इसके पदार्थों का आवश्यकतानुसार त्यागपूर्वक भोग करें

 केवल धनदौलत सुखसुविधाओं का ही त्यागपूर्वक उपभोग नहीं अपितु संबन्धों के विषय में भी त्यागपूर्वक उपभोग की बात सत्य है इस कारण परिवार की उपेक्षा न करना जितना अनिवार्य है उतना ही अनिवार्य है कि परिवार के कारण हम आक्रांत भी न हों परिवार को सहयोगी के रूप में संस्कारित करें और यदि उसमें असफल हों तो उसे स्वतन्त्र रहने दें 


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने नाना जी देशमुख के पूर्त कार्यों का उल्लेख किया अपने देश की प्राचीन परम्पर का संकेत किया 

भैया राघवेन्द्र जी का उल्लेख क्यों हुआ मोक्ष का मार्ग क्या है प्रयाग जाने का कार्यक्रम अभी क्यों टाला गया

Harakiri (also known as seppuku ) और संथारा का उल्लेख क्यों हुआ 

 जानने के लिए सुनें