प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज चैत्र कृष्ण पक्ष द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 15 मार्च 2025 का सदाचार सम्प्रेषण
*१३२५ वां* सार -संक्षेप
इन सदाचार संप्रेषणों का सिलसिला एक लम्बे समय से चल रहा है जिनका उद्देश्य है कि हम इनसे सदाचारमय विचार ग्रहण करें अपने विकारों को दूर करें अपने जीवन को तप त्याग सेवा समर्पण भक्ति की सहायता से स्थायी रूप से जाज्वल्यमान् बनाने का प्रयास करें,हम उत्साहित प्रफ़ुल्लित आनन्दित हों, कर्मानुरागी बनें,भारतभूमि की सेवा में रत हों, यह विवेक धारण करें कि दुष्ट दंडनीय हैं, प्रेम आत्मीयता आदि का विस्तार करें, अपनी दुर्बलता का परित्याग करें भय भ्रम से दूरी बनाएं
कल होली पर्व था
इस देश का हर पर्व उत्सव मांगलिक शिव सृष्टि है
ऋषियों विचारक पूर्वजों की गहन चिन्तक दृष्टि है
इनको मनाना चाहिए उत्साहपूर्वक
पर सदा यह ध्यान रखना चाहिए हर व्यक्ति एक समष्टि है
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम ऐसे पर्व मनाते समय फ़ूहड़पन से बचें
जैसा हम जानते हैं कि श्री सनातन धर्म सभा कौशलपुरी कानपुर के ७५ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आचार्य जी २१, २२, २३ मार्च को श्रीराम कथा कहने वाले हैं
और जब राम कथा की चर्चा हो तो सहज रूप से अनन्तमुखी प्रतिभा के धनी चिन्तक विचारक समाजसेवक कवि गोस्वामी तुलसीदास जी का नाम याद आ जाता है आचार्य जी ने उनसे संबन्धित वह प्रसंग सुनाया जिसके कारण उन्होंने रामाज्ञा प्रश्न की रचना की
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने विश्वनाथ प्रताप सिंह का नाम क्यों लिया
लंका मोहल्ले का संकटमोचन हनुमान मन्दिर किसने बनवाया था जानने के लिए सुनें