प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज चैत्र कृष्ण पक्ष पञ्चमी विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 19 मार्च 2025 का सदाचार सम्प्रेषण
*१३२९ वां* सार -संक्षेप
अस्ताचल देशों के कारण हमारे अन्दर जो भ्रम हैं उनका निवारण आवश्यक है हमें अपने वास्तविक इतिहास पर अपने ग्रंथों पर गर्व करना चाहिए हमारे ग्रंथ अद्भुत हैं पुराणों में इतिहास है वेद ज्ञान के भण्डार हैं शास्त्रों में विधि विधान हैं हम अध्ययन स्वाध्याय चिन्तन मनन लेखन में रत हों हम अपने शरीर जो साधन है साध्य नहीं का उचित पोषण करें
हम जहां है जैसी भी परिस्थिति में हैं वहां जिस कार्य को कर रहे हैं उसमें रमें उसे मनोयोग पूर्वक करें उसे विश्वासपूर्वक करें और भ्रान्तियों से दूर रहें सकारात्मक सोच रखें यह भाव वही है जो भगवान् राम के अन्दर था जैसे उन्होंने वन जाते समय संकटों से भरा मार्ग चुना यद्यपि दूसरे मार्ग में संकट नहीं थे भगवान् राम जहां रहे वहां रमते हुए रहे जिस भी कार्य को उन्होंने किया उसे रम कर किया इसी कारण उनके जीवन के साथ यशस्विता साथ साथ चलती रही यशस्विता सुख और साधनों से प्राप्त नहीं होती यह धन कमाने से नहीं मिलती
स जीवति यशो यस्य कीर्तिर्यस्य स जीवति।
भगवान राम का जीवन हमें यह सिखाता है कि किसी भी कार्य को सच्चे मन और समर्पण के साथ करना चाहिए, चाहे वह कार्य कितना भी कठिन या चुनौतीपूर्ण हो।यही रामत्व हमारे भीतर प्रविष्ट हो आचार्य जी इसका प्रयास करते हैं भगवान् राम का प्रत्येक कार्य और व्यवहार अनुकरणीय है उनका जन्म भारत में हुआ है ऐसी अद्भुत है हमारी भारत भूमि
भलि भारत भूमि, भले कुल जन्म, समाज सरीर भला लहिकै।
करषा तजिकै, परुषा वरषा, हिम मारुत घाम सदा सहिकै॥
जौ भजै भगवान सयान सोई तुलसी हठ चातक ज्यों गहिकै।
न तो और सबै विष-बीज बये हर-हाटक काम-दुहा नहि कै।
'भारत जहां ऋषियों महर्षियों शूरवीरों योद्धाओं की अद्भुत परम्परा जिस पर हमें गर्व करना चाहिए रही है की अच्छी पावन भूमि में, अच्छे कुल में जन्म पाकर, समाज और शरीर भी भले पाकर, क्रोध छोड़कर, वर्षा, हिम , वायु और गर्मी सदा सहकर जो चातक की तरह हठ करके भगवान् को गहै―अर्थात् जैसे चातक स्वाती का ही पानी पीता है नहीं तो प्यासा ही रहता है―और उनका भजन करे वही हे तुलसी! सयाना है अन्यथा और सब तो सोने के हल में कामधेनु जोतकर विष का बीज बोने जैसा है
इसके अतिरिक्त श्री नरेन्द्र शुक्ल जी को कौन से सूत्र संयुत नहीं दिखे, धनुष यज्ञ की चर्चा क्यों हुई जानने के लिए सुनें