प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 22 मार्च 2025 का सदाचार सम्प्रेषण
*१३३२ वां* सार -संक्षेप
आचार्य जी हमारे मनमस्तिष्क में सदाचारमय विचार इस तरह से पिरोने का प्रयास कर रहे हैं ताकि हम उन्हें ग्रहण कर अपने विकारों को दूर करें सद्गुणों को ग्रहण करें सब प्रकार से क्रियाशील बनें शक्तिसम्पन्न बनें भविष्य का इतिहास बनाने का संकल्प लें राष्ट्र के जाग्रत पुरोहित के रूप में अपने कर्तव्य का परिपालन करें राम का रामत्व धारण करें
भगवान् राम ने नर रूप में इस कारण लीला की ताकि हम नर उनसे प्रेरणा लेकर अपने मनुष्यत्व की अनुभूति करते हुए उस प्रकार कार्यव्यवहार करें जो समाज और राष्ट्र के हित में हो और विषम से विषम परिस्थिति में भी अपने कर्तव्य से विमुख न हों न ही भ्रमित भयभीत हों
भगवान् राम ने नर के रूप में कार्य किए परमात्मा के कार्य नहीं किए ताकि हमें यह विश्वास बना रहे कि जब वो बड़ा से बड़ा कठिन से कठिन काम कर सकते हैं तो हम भी कर सकते हैं
राम ने क्रिया से लगाव किया क्रिया के परिणाम की चिन्ता नहीं की
यस्य सर्वे समारम्भाः कामसङ्कल्पवर्जिताः।
ज्ञानाग्निदग्धकर्माणं तमाहुः पण्डितं बुधाः।।4.19।।
जिसके समस्त कार्य कामना और संकल्प से रहित हैं, ऐसे उस ज्ञानरूप अग्नि के द्वारा भस्म हुये कर्मों वाले पुरुष को ज्ञानीजन पण्डित कहते हैं।।
राम से बड़ा पंडित कौन होगा
हर दिशा में प्रसरित भगवान् राम का रामत्व अयोध्या के बाहर दिखा
कागर-कीर ज्यौं भूषन-चीर सरीर लस्यौ तजि नीर ज्यौं काई।
मातु-पिता प्रिय लोग सबै सनमानि सुभाय सनेह सगाई॥
संग सुभामिनि भाई भलो, दिन द्वै जनु औध हुतै पहुनाई।
राजिव लोचन राम चले तजि बाप को राज बटाऊ की नाई॥
सुग्गों के पंख के समान वस्त्र और आभूषण त्यागने पर राम का शरीर इस प्रकार सुशोभित हुआ जिस प्रकार काई हटा देने से जल सुशोभित होता है। माता,पिता
(जौं पितु मातु कहेउ बन जाना। तौ कानन सत अवध समाना॥)
, प्रिय जन, स्नेही-संबंधियों का सम्मान करके साथ में सुंदर स्त्री और अच्छे भाई उनकी छाया लक्ष्मण को लेकर कमल जैसे नेत्रों वाले श्रीराम अपने पिता के राज्य को छोड़कर बटोही की तरह ऐसे चल पड़े मानो वह अयोध्या में दो दिन के अतिथि थे।
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बताया कि हमारे सनातन धर्म की परस्परावलम्बित सामाजिक व्यवस्था अद्भुत है
भगवान् राम की कथा आज की विषम परिस्थितियों में बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाती है