असक्तबुद्धिः सर्वत्र जितात्मा विगतस्पृहः।
नैष्कर्म्यसिद्धिं परमां संन्यासेनाधिगच्छति।।18.49।।
प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज चैत्र कृष्ण पक्ष नवमी विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 23 मार्च 2025 का सदाचार सम्प्रेषण
*१३३३ वां* सार -संक्षेप
ये सदाचार वेलाएं हनुमान जी की कृपाछाया से नित्य हमें प्रेरित प्रभावित उद्बोधित सुसंस्कारित करती हैं ताकि ब्रह्म की ओर चलने वाले हम मनुष्य अपने विकार दूर सकें अर्थात् असत् से विमुख होकर सत् को ग्रहण कर सकें, प्रतिष्ठा प्राप्त करने का प्रयास कर सकें , कुसंगति से बच सकें
हम अपना इतिहास देखें तो जब जब हमारे देश के राष्ट्र -भक्त समाज पर संकट आया है तो हमारे ऋषियों महर्षियों मार्गदर्शकों कवियों साधुओं ने अपार शक्तियों वाले हनुमान जी की उपासना अवश्य की है हमें भी उनकी उपासना अवश्य करनी चाहिए क्योंकि वे हमें संकटों से निकाल लेते हैं हमारे विकार हर लेते हैं हमें बल विद्या बुद्धि प्रदान करते हैं
जो हमारे स्वभाव में नियत कर्म है वही धर्म है स्वभाव से नियत किये गये कर्म को करते हुए मनुष्य पाप को नहीं प्राप्त करता।।
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।
स्वभावनियतं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम्।।18.47।।
और दोषयुक्त होने पर भी सहज कर्म को नहीं त्यागना चाहिए जो भी कार्य करें मनोयोग पूर्वक करें
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