विक्रमी संवत् २०८२ नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 30 मार्च 2025 का सदाचार सम्प्रेषण
*१३४० वां* सार -संक्षेप
संसार में अनेक प्रपंच,भ्रम,आकर्षण,झंझावात हैं जो हमें बाह्य भौतिक सुखों की ओर खींचते हैं,किन्तु ये अस्थायी होते हैं इनसे बंधे रहने पर हम अपने वास्तविक उद्देश्य से दूर हो जाते हैं ऐसे झंझावातों में भी जो टिककरआत्मस्थ आत्मनिष्ठ आत्मबोधी संगठित बना रहेगा तो वास्तव में वह अनेक क्षमताओं से युक्त होकर महान् से महान् कार्य कर सकेगा
आज चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८२ है हमारा नववर्ष प्रारम्भ हो रहा है यह
एक नए जीवन का प्रारम्भ , आत्मसंयम और सकारात्मकता की ओर बढ़ने का भी प्रतीक है पश्चिमी देशों के फैलाए भ्रम से हम जो भ्रमित हो गए हैं अपनी संस्कृति अपनी परम्पराओं,जिनके कारण ही हम सुरक्षित रहे हम स्वाभिमान से जीते हुए संघर्षशील रहे, से दूर हो गए हैं उनपर हमें विचार करने की आवश्यकता है अतः हम २०८२ नववर्ष को उत्साहपूर्वक मनाएं और अधिक से अधिक लोगों को संदेश भेजें
नववर्ष हम सब के लिए शुभ सुखद मंगलमय रहे
आवर्ष होते रहें शिव शुभ कर्म शुचि गंगा बहे।
समृद्धियाँ संसार की हर देश प्रेमी को वरें
सत्शक्तियाँ संगठित हो कल्याण जनगण का करें।
शिक्षक सदाचारी सरल विद्वान् भावापन्न हों
सब छात्र संतोषी शरीरी शक्ति से सम्पन्न हों।
शासन प्रशासन करे निस्पृह भावमय सद्बुद्धि से
भारत दिखाए विश्वभर को राह अपनी बुद्धि से।
आचार्य जी अपनी इस कविता के माध्यम से यह भी बता रहे हैं कि ऐसे शिक्षक हों जो इस प्रकार की शिक्षा दें जिससे उत्साह शक्ति आत्मविश्वास मिले शिक्षा अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने किसके पक्षाघात की चर्चा की कबीर का उल्लेख क्यों हुआ भैया मनीष कृष्णा जी की चर्चा क्यों हुई
Poster boy का उल्लेख क्यों हुआ हमारी आस्था किसपर स्थिर हो जाए तो हम निराश हताश नहीं होंगे जानने के लिए सुनें