9.3.25

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष दशमी / एकादशी विक्रमी संवत् २०८१ तदनुसार 9 मार्च 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१३१९ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष दशमी / एकादशी विक्रमी संवत् २०८१  तदनुसार 9 मार्च 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१३१९ वां* सार -संक्षेप


ये हितकारी सदाचार संप्रेषण अद्भुत हैं जिन्हें सुनने के लिए नित्य हम लालायित रहते हैं 

आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि अपने मन को केन्द्रित करते हुए इन्हें सुनकर हम अमर आत्मा आत्मस्थ होने की चेष्टा करें, पराश्रयता से बचें, सशक्त मानस वाले बनें,भय भ्रम से दूर रहें, अपने धर्म अपनी परम्परा, अपनी संस्कृति के वैशिष्ट्य को जानने वाले जिज्ञासु बनें, मनोयोग पूर्वक किसी भी सत्कर्म को करें,भक्ति श्रद्धा विश्वास समर्पण तप त्याग जैसे सद्गुण विकसित करें, काकमनोवृत्ति से जीवन जीने से बचें, सार असार दोनों को जानें 


इस कलियुग में भगवान् राम के आदेश का पालन कर उपस्थित रहते हुए हनुमान जी महाराज हमें भक्तिमय शक्ति के साथ प्रेरित करते हैं

ताकि हम अपने मनुष्य के रूप में जन्म लेकर भाग्यशाली होने का गर्व कर कर्तव्यबोध का स्मरण करते हुए राष्ट्र के जाग्रत पुरोहित बनें

हमारे ग्रंथ अद्भुत हैं जिन पर हमें पूर्ण विश्वास करना चाहिए 


गीता का दूसरा अध्याय हम बार बार अवश्य पढ़ें  और अपनी संततियों को भी प्रेरित करें 

यामिमां पुष्पितां वाचं प्रवदन्त्यविपश्चितः।


वेदवादरताः पार्थ नान्यदस्तीति वादिनः।।2.42।।


हे अर्जुन ! जो कामनाओं में तन्मय हो रहे हैं, स्वर्ग को ही श्रेष्ठ मानते हैं, वेदों में कहे हुए सकाम कर्मों में प्रीति रखने वाले हैं, भोगों के सिवाय और कुछ है ही नहीं - ऐसा कहने वाले हैं, वे विवेकहीन मनुष्य इस प्रकार की जिस पुष्पित (दिखावे वाली शोभायुक्त) वाणी बोलते हैं, जो कि जन्मरूपी कर्मफल को देने वाली है तथा भोग और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिये बहुत सी क्रियाओं का वर्णन करनेवाली है।


इसके अतिरिक्त तुलसीदास जी ने हनुमान बाहुक कब लिखी थी, भैया विनय अजमानी जी आचार्य जी से क्या अपेक्षा कर रहे हैं, आचार्य जी आज उन्नाव विद्यालय क्यों जा रहे हैं जानने के लिए सुनें