प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज वैसाख कृष्ण पक्ष दशमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 23 अप्रैल 2025 का सदाचार सम्प्रेषण
*१३६४ वां* सार -संक्षेप
जम्मू-कश्मीर में 2019 के पुलवामा अटैक के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ है। आतंकियों ने कल पर्यटकों पर फायरिंग की, जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई
हमें इस पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए और अपने कर्तव्य का बोध होना चाहिए
जैसा कर्तव्यबोध भगवान् परशुराम को हुआ था
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।
जब धर्म पर संकट हो तो एक संन्यासी भी शस्त्र उठा सकता है।
शस्त्र और शास्त्र दोनों के ज्ञाता भगवान परशुराम *भगवान् विष्णु के आवेशावतार* माने जाते हैं।
एक प्रसंग *महर्षि जमदग्नि*, उनकी पत्नी महाराज रेणु की पुत्री *रेणुका* और पुत्र *परशुराम*
से जुड़ा हुआ है
*रेणुका के मन में उठी एक भावनात्मक तरंग:*
- रेणुका देवी प्रतिदिन सुबह *नदी से जल लाकर यज्ञ* के लिए उपयोग करती थीं।
- एक दिन, उन्होंने नदी तट पर एक *गंधर्व और कई अप्सराओं को जल क्रीड़ा करते हुए देखा* और क्षणभर के लिए उनके मन में विकार उत्पन्न हो गया
- इसके कारण वह अपने कार्य (जल लाना) में विलंब कर बैठीं और उनका *योगबल क्षीण हो गया*।
🔥 *जमदग्नि का क्रोध:*
- जब रेणुका लौटकर आईं, तो ऋषि जमदग्नि को उनके *मनोभावों का आभास हुआ*, क्योंकि वे महान तपस्वी और ज्ञानी थे।
- उन्होंने इसे *पतिव्रता धर्म का उल्लंघन* मानते हुए *अपने पुत्रों को आदेश दिया* कि वे अपनी मां का वध करें।
- रुमण्वान्, सुषेण, वसु और विश्वावसु — चारों ने यह कार्य करने से मना कर दिया।
- सबसे छोटे पुत्र *राम (परशुराम)* ने पिता की आज्ञा मानकर *अपनी माता और चारों भाइयों का वध कर दिया*।
- पिता ने परशुराम से प्रसन्न होकर कहा — "वर मांगो।"
- परशुराम ने कहा — *"मुझे मेरी मां और चारों भाइयों का जीवन वापस चाहिए।"*
- जमदग्नि ने अपने *तपबल से उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।*
एक और महत्त्वपूर्ण प्रसंग है
🐂 *कामधेनु और सहस्रार्जुन का प्रसंग :*
🧘♂️ *महर्षि जमदग्नि और कामधेनु:*
- महर्षि जमदग्नि अत्यंत तपस्वी और ब्रह्मर्षि थे।
- उनके पास *कामधेनु* नाम की एक *इच्छा पूर्ति करने वाली दिव्य गौ* थी, जो उन्हें इंद्रलोक से प्राप्त हुई थी।
- कामधेनु यज्ञों में *दूध, घृत, और सभी आवश्यक सामग्री* उत्पन्न कर देती थी — जिससे वे बिना किसी बाहरी साधन के यज्ञ कर सकते थे।
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👑 *सहस्रार्जुन का लोभ:*
- एक बार *सहस्रार्जुन*, जो कि हैहय वंश का राजा था, अपने सैनिकों के साथ *महर्षि जमदग्नि के आश्रम में अतिथि रूप में* पहुँचा।
- आश्रम में उनका सत्कार इतना उत्तम हुआ कि राजा चकित हो गया — और उसे ज्ञात हुआ कि यह सब *कामधेनु* की कृपा से संभव है।
😈 *कामधेनु को बलात् ले जाना:*
- सहस्रार्जुन ने कामधेनु को *राजकीय कार्यों और यज्ञों के लिए उपयोगी बताया* और उसकी मांग की
- जब महर्षि ने असहमति जताई, तो उसने *बलपूर्वक कामधेनु को छीन लिया* और उसे अपने राज्य *महिष्मती* ले गया।
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🔱 *परशुराम का क्रोध और प्रतिशोध:*
- जब परशुराम जी को यह ज्ञात हुआ, तो उन्होंने *हैहय वंश पर आक्रमण* कर दिया।
- उन्होंने *राजा सहस्रार्जुन और उसकी सेना का नाश* कर दिया और कामधेनु को पुनः प्राप्त किया।
*सहस्रार्जुन के पुत्र* अपने पिता का बदला लेने के लिए अवसर ढूंढ़ रहे थे। एक दिन जब परशुराम और उनके भाई आश्रम में नहीं थे, तो उनके पुत्र आश्रम में आ धमके। *जमदग्नि* यज्ञ-मंडप में ध्यानस्थ बैठे थे। पुत्रों ने उनका मस्तक काट डाला। वे अपने साथ उनका मस्तक भी ले गए। रेणुका विलाप करने लगीं। संयोग की बात, परशुराम शीघ्र ही आ गए। वे शोकमग्ना अपनी माँ के मुख से *पिता के शिरोच्छेद* किए जाने की बात सुनकर क्रुद्ध हो उठे। वे अपने परशु को लेकर महिष्मती की ओर दौड़ पड़े। उन्होंने *महिष्मती* को तो उजाड़ ही दिया। पुत्रों को भी मार डाला। उन्होंने अपने पिता का मस्तक लाकर अपनी माँ को दिया। रेणुका अपने पति के साथ सती हो गईं। इस घटना के पश्चात् *परशुराम ने इक्कीस बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन कर दिया* *था*।
यह कथा केवल प्रतिशोध की नहीं, बल्कि *धर्म, न्याय, और अधर्म के विरुद्ध दृढ़ता* की प्रतीक है।
*पिता के वध से उत्पन्न वह पीड़ा*, एक पूरे युग की *धार्मिक क्रांति* बन गई।
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने शासन प्रशासन अनुशासन के विषय में क्या बताया भैया ज्योति जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें