26.4.25

*आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का वैसाख कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 26 अप्रैल 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१३६७ वां* सार -संक्षेप

 मैं सत्य कहता हूँ, सखे ! सुकुमार मत मानो मुझे,

यमराज से भी युद्ध को प्रस्तुत सदा जानो मुझे


प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज वैसाख कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार 26 अप्रैल 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१३६७ वां* सार -संक्षेप


उठो जागो जगाओ जो पड़े सोए भ्रमों में हैं 

सुखों की छाँव के सपनों भविष्यत् के ग़मों में हैं 

उन्हें झकझोर कर पौरुष दिखाओ जो छिपा उनमें 

कहो " वह सुख न लम्बी उम्र में जो कुछ क्षणों में है " ।



इन सदाचार संप्रेषणों का उद्देश्य स्पष्ट है


वह अति अपूर्व कथा हमारे ध्यान देने योग्य है,

जिस विषय में सम्बन्ध हो वह जान लेने योग्य है।

अतएव कुछ आभास इसका है दिया जाता यहाँ,

अनुमान थोड़े से बहुत का है किया जाता यहाँ।।


 इनका श्रवण कर हम जाग्रत रहें  आस्तीन में छिपे सांपों से सचेत रहें धैर्य धारण करना सीखें  राष्ट्रभक्त समाज को भी जाग्रत करें उसे सचेत करते रहें आचार्य जी हमसे यही अपेक्षा करते हैं देश की परिस्थितियां अत्यन्त विषम हैं

ऐसे में आचार्य जी हमें आपद् धर्म का पालन करने का संदेश दे रहे हैं 


*आपद् धर्म* (आपत्ति धर्म) का अर्थ है — *आपत्ति काल में पालन किया जाने वाला धर्म*। जब समाज या व्यक्ति सामान्य परिस्थितियों में स्थापित धर्म का पालन नहीं कर पाता, तब विशेष परिस्थितियों के अनुरूप जो आचरण उचित हो, वही *आपद् धर्म* कहलाता है। यह सिखाता है कि *धर्म कोई जड़ सिद्धांत नहीं*, वह जीवंत है और परिस्थितियों के अनुसार व्यवहार में लाया जाना चाहिए

हमें अपनी स्थिति जीवित जाग्रत रहने की बनाने के लिए अपनी तैयारी भी रखनी चाहिए 

अग्रतः चतुरो वेदाः *पृष्ठतः सशरं धनुः*

सहजता को धारण कर देशभक्ति का व्यवहार करें स्थान स्थान पर होने वाले संभावित उत्पातों को शमित करने का सामर्थ्य प्राप्त करें यह हमारा धर्म है राष्ट्रभक्त समाज को संगठित करें हमारे मन में लगातार अग्नि धधकनी चाहिए 

अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है;

न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है।


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शर खींच उसने तूण से कब किधर सन्धाना उन्हें;

बस बिद्ध होकर ही विपक्षी वृन्द ने जाना उन्हें।

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इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने धीरेन्द्र ब्रह्मचारी, भूतनाथ का नाम क्यों लिया Blitz का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें