4.4.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का चैत्र शुक्ल पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 4 अप्रैल 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१३४५ वां* सार -संक्षेप

 ये सदाचार संप्रेषण अद्भुत हैं जिनका श्रवण कर  और उन्हें गुनकर हम भीतर और बाहर दोनों ओर शान्ति की अनुभूति कर सकते हैं हमें अपने लक्ष्य बनाने की प्रेरणा मिल सकती है हम आनन्द की अनुभूति कर सकते हैं तो आइये प्रवेश करें आज की वेला में 


प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज चैत्र शुक्ल पक्ष  सप्तमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार  4 अप्रैल 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१३४५ वां* सार -संक्षेप


इस समय परिस्थितियां विषम हैं  राष्ट्र विरोधी तत्त्व सक्रिय हैं जो  भारत राष्ट्र  जिसकी आर्ष परम्परा,जीवन शैली जिसका जीवनदर्शन तात्त्विक स्वरूप  संपूर्ण विश्व के लिए कल्याणकारी और सृष्टि का आधार है,की अखंडता, सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक ताने-बाने को हानि पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं ऐसे प्रयासों में कई तरह के आंतरिक और बाह्य तत्त्व सम्मिलित  हैं, जिनका उद्देश्य देश को दुर्बल बनाना और उसकी एकता को तोड़ना है  इन राष्ट्र विरोधी तत्त्वों के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए धैर्य और धर्म का संतुलन आवश्यक है संगठन आवश्यक है हम हिन्दूओं का धर्म शक्ति उपासना है शक्ति से ही धैर्य और धर्म संतुलित रहते हैं

शक्ति उपासना का अर्थ किसी दूसरे को मारना कतई नहीं है शक्ति -उपासक अभद्र व्यवहार से गुरेज करता है वैसे भी यह समय नवरात्र का चल रहा है जिसमें शक्ति की ही उपासना होती है 

नवरात्र के समय हम व्यवस्थित संयमित अनुशासित सात्विक रहने का प्रयास करते हैं 

हम तपस्विता पर आधारित यशस्विता की कामना करते हैं

आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम वाणी और व्यवहार सही रखें प्रातः जल्दी जागें अध्ययन स्वाध्याय चिन्तन मनन लेखन व्यायाम  योग प्राणायाम आदि करें 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया जयन्त सोमानी जी की किस कल्याणकारी योजना की चर्चा की, वक्फ बिल का उल्लेख क्यों हुआ, १३ अप्रैल को कौन सा कार्यक्रम हो रहा है  कार्यक्रमों को करने के बाद क्या करना चाहिए जानने के लिए सुनें