6.4.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 6 अप्रैल 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१३४७ वां* सार -संक्षेप

 रामो विग्रहवान् धर्मः साधुः सत्यपराक्रमः।

 राजा सर्वस्य लोकस्य देवानाम् इव वासवः॥

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज चैत्र शुक्ल पक्ष  नवमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार 6 अप्रैल 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१३४७ वां* सार -संक्षेप

 इस कलियुग में हनुमान जी की कृपा से हमें सहारा देते ये सदाचार संप्रेषण अत्यन्त प्रेरक, सार्थक हैं हमारे लिए अत्यन्त लाभकारी हैं हम इन्हें सुनें, गुनें, भावानुभूति का अभ्यास करें, अपने अहंकार का निरसन कर सतत सक्रिय रहने का प्रयास करें,संयमी, संतोषी, मनस्वी,मृदु,शौर्यसंपन्न स्वदेशानुरागी, निर्भीक बनें और परमात्मा में स्वयं को अवस्थित करें जैसे गीता में कहा गया है 


मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय।


निवसिष्यसि मय्येव अत ऊर्ध्वं न संशयः।।12.8।।


आज रामनवमी है- भगवान् श्री राम का जन्मदिन 

भगवान् श्रीराम के जीवन में *धर्म*, *सत्यमार्ग* और *कर्तव्य* के आदर्शों को स्वीकारा गया । उनका जीवन प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है कि किस प्रकार जीवन में सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।

भगवान् राम की कथा श्री रामचरित मानस अत्यन्त जिज्ञासा से भरी गूढ़ 

कथा है जिसमें ज्ञान भक्ति वैराग्य शिक्षा रागविहीन त्याग आदि बहुत कुछ है

श्रोता बकता ग्याननिधि कथा राम कै गूढ़। किमि समुझौं मैं जीव जड़ कलि मल ग्रसित बिमूढ़॥ 30(ख)॥


संभु कीन्ह यह चरित सुहावा। बहुरि कृपा करि उमहि सुनावा॥

सोइ सिव कागभुसुंडिहि दीन्हा। राम भगत अधिकारी चीन्हा॥



शिव जी ने पहले इस सुहावने चरित्र को रचा, फिर कृपा करके पार्वती जी को सुनाया। (पहले सती जी सुनकर भ्रमित हो गईं थीं )वही चरित्र शिव जी ने काकभुशुंडि को रामभक्त और अधिकारी पहचानकर दिया।

जागबलिक जो कथा सुहाई। भरद्वाज मुनिबरहि सुनाई॥

कहिहउँ सोइ संबाद बखानी। सुनहुँ सकल सज्जन सुखु मानी॥


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने युगभारती कार्यालय के उद्घाटन की चर्चा की 

भैया पंकज जी से आचार्य जी ने शिक्षक के कौन से गुण बताए,एक दुर्गुण क्या हानि पहुंचाता है,मनुष्यत्व का अनुभव कैसे हम कर पाएंगे जानने के लिए सुनें