2.5.25

प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज वैसाख शुक्ल पक्ष पञ्चमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 2 मई 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१३७३ वां* सार -संक्षेप

 उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः दैवेन देयमिति कापुरुषा वदन्ति ।

दैवं निहत्य कुरु पौरुषमात्मशक्त्या यत्ने कृते यदि न सिद्ध्यति कोऽत्र दोषः ॥

प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज वैसाख शुक्ल पक्ष पञ्चमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार 2 मई 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१३७३ वां* सार -संक्षेप


22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुआ आतंकी हमला हमें संकेत दे रहा है कि हम राष्ट्र-भक्त के रूप में अपने कर्तव्य का बोध करें

ऐसे संकटपूर्ण समय में,  हमारा परम कर्तव्य है कि हम राष्ट्र की सुरक्षा, अखंडता और समृद्धि के लिए सजग, जागरूक और सक्रिय रहें।  समाज के किसी भी वर्ग—चाहे हम विद्यार्थी हों, शिक्षक,अभियन्ता, चिकित्सक, अधिवक्ता, व्यापारी या किसान हों हम अपने-अपने क्षेत्र में राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखें

इन सदाचार वेलाओं के माध्यम से जिन सूत्र सिद्धान्तों जैसे


उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्।


आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः।।6.5।।

अपने द्वारा अपना उद्धार करें, अपना पतन न करें; क्योंकि आप ही अपने मित्र हैं और आप ही अपने शत्रु हैं


 की हमें जानकारी हो रही है उन्हें व्यवहार में प्रयुक्त करने का यह सबसे उचित अवसर है हमें यह अनुभव करना चाहिए कि *स्वदेश का भार हमारे कंधों पर है*। हमें न केवल अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए,अपितु दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए कि वे राष्ट्रहित में कार्य करें, हम राष्ट्र -भक्त संगठित रहने का संकल्प लें

*स्वदेश हित परम प्रबुद्ध हो* 

*स्वराष्ट्र हेतु भाव शुद्ध हो* 

*स्वधर्म कर्म मर्म बुद्ध हो*

*कि सत्त्व रक्षणार्थ युद्ध हो*


यह रचना राष्ट्रचेतना का अत्यंत प्रभावशाली और ओजस्वी स्वर है। इसमें राष्ट्र, धर्म और कर्तव्य के प्रति सजगता की प्रेरणा है प्रबुद्ध होने से आशय है कि हम राष्ट्र की स्थिति और आवश्यकता को समझने वाले विवेकशील नागरिक के रूप में स्वयं को अनुभव करें और अपनी भावनाएँ शुद्ध और निर्मल रखें यह भाव रखें कि देशभक्ति केवल बाह्य प्रदर्शन नहीं, बल्कि आंतरिक भावना और निष्ठा का विषय है। सत्य और धर्म की रक्षा के लिए आवश्यकता पड़े तो युद्ध का विकल्प हम बिना भय भ्रम के स्वीकारें

इसके अतिरिक्त आचार्य जी चित्रकूट जाने के लिए क्या योजना बना रहे हैं जानने के लिए सुनें