25.5.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 25 मई 2025 का सदाचार संप्रेषण *१३९६ वां* सार -संक्षेप

 कामिहि नारि पिआरि जिमि लोभिहि प्रिय जिमि दाम।

तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहु मोहि राम॥

प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार 25 मई 2025 का सदाचार संप्रेषण

  *१३९६ वां* सार -संक्षेप

अद्भुत है भा में रत हमारे देश की गुरु शिष्य परम्परा 

ये सदाचार संप्रेषण भी इसी परम्परा के अन्तर्गत हैं

एक गुरु की इच्छा रहती है कि उसका शिष्य अपने गुरु को सत्कर्मों में पराजित करे, अर्थात् वह गुरु से भी अधिक श्रेष्ठ कार्य करे और इस प्रकार गुरु की शिक्षा को सार्थक कर दे

आचार्य जी जिन्होंने सदैव शिक्षकत्व की अनुभूति की है  की भी यही इच्छा रहती है कि हम शिष्य, जिन्हें आचार्य जी भारत के भविष्य के रूप में देखते हैं, भी अध्ययन स्वाध्याय लेखन साधना या अन्य किसी सैद्धान्तिक जीवन जीने की विधि में  उन्हें पार कर जाएं

हम आज से ही यह प्रयास प्रारम्भ कर दें ताकि उन्हें यह न कहना पड़े 

सांझ उतर आयी मन की अभिलाष न पूरी है

कोई   चन्द्रगुप्त   गढ़ने  की  साध   अधूरी है



हम सदा ही कसौटी पर खरे उतरें हम सदैव मुस्कराते रहें बैराग को भी राग सुनाते रहें आत्मीय जनों को जाग्रत करते रहें प्रेम आत्मीयता का विस्तार करते रहें आचार्य जी नित्य यही प्रयास करते हैं

आचार्य जी कहते हैं

बाह्य आडंबर और दिखावे की तुलना में, आंतरिक साधना और सूक्ष्म प्रयास अधिक फलदायी हैं।

ये विचार गुरु-शिष्य परंपरा में पूर्ण सम्मान के साथ, श्रेष्ठता के आदर्श को दर्शाते हैं। अद्भुत हैं ऐसे भावनात्मक सूत्र भावनात्मक सूत्रों की युति हमारे देश की गुरु शिष्य परम्परा, पारिवारिक परम्परा का एक विलक्षण संस्कार है



मैंने तुमको ही विषय मानकर गीत लिखे

 मनमन्दिर की तुम ही उपासना मूरत थे 

साधना साध्य की तुम ही थे तब एकमेव 

सचमुच  ही अनुपम दिव्य समय की सूरत थे 

तुममें ही देखा मैंने भारत का भविष्य 

भारतमाता की सेवा के तुम उपादान

 शिक्षा पद्धतियों की विधि और व्यवस्था थे...

इसके अतिरिक्त अपने दर्द मैं दुलरा रहा हूं की ५२ वीं कविता कौन सी है बैच १९८१ के भैया दीपक जी और भैया नीरज जी की चर्चा आचार्य जी ने क्यों की श्री आनन्द आचार्य जी,  स्व डा रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें