9.5.25

प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज वैसाख शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 9 मई 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१३८० वां* सार -संक्षेप

 मायातीतं सुरेशं खलवधनिरतं ब्रह्मवृन्दैकदेवं

वंदे कंदावदातं सरसिजनयनं देवमुर्वीशरूपम्‌॥ 1॥


माया से परे, देवताओं के स्वामी, *दुष्टों के वध में तत्पर*, ब्राह्मणवृंद के एकमात्र रक्षक, जल -मेघ के समान सुंदर श्याम, कमल जैसे नेत्र वाले, राजा के रूप में परमदेव राम की मैं वंदना करता हूँ


प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज वैसाख शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार 9 मई 2025 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१३८० वां* सार -संक्षेप

हमारा सौभाग्य है कि ये सदाचार संप्रेषण अबाध गति से चल रहे हैं जिनसे हम सदाचारमय विचार ग्रहण करते हैं और कर्मरत होते हैं

आज के इस शौर्य-स्वर रूपी सदाचार संप्रेषण के मूल में वर्तमान परिस्थिति है पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा

ऐसे में हमें अपने कर्तव्य का बोध होना चाहिए इस तरह के किसी भी युद्ध में हमें प्रबुद्ध रहने की आवश्यकता है यद्यपि इस तरह के अवरोधों के आने पर भी भारत का, हम भारत -भक्तों का भविष्य उज्ज्वल है तथापि हम गम्भीर रहें सचेत रहें जाग्रत रहें  संगठित रहें अपने तरह के स्वदेशानुरागियों को तैयार करें प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क में रहें शत्रु कमजोर हो तो भी उसे कमजोर नहीं समझना चाहिए

उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए कायर गोरी का उदाहरण हमारे सामने है 


*समय गंभीर है गंभीरता से हर कदम सोचें*

*मुखों पर की नकाबें हर तरह से भींचकर नोचें*

 *कि जिसके हृदय में भारत न बसता हो उसे छोड़ें* 

*सभी का भाव भारत राष्ट्र के रक्षार्थ ही मोड़ें*


इसके अतिरिक्त भैया पंकज जी की चर्चा क्यों हुई, बैठकें  क्यों करें आदि जानने के लिए सुनें