14.6.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ कृष्ण तृतीया विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 14 जून 2025 का सदाचार संप्रेषण १४१६ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ कृष्ण तृतीया विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार  14 जून 2025 का सदाचार संप्रेषण

  १४१६ वां सार -संक्षेप

परमात्मा पर विश्वास करते हुए और यह अनुभव करते हुए कि उसके सजाए रंगमंच में हम एक अभिनेता हैं,

सांसारिक प्रपंचों से होने वाली उलझनों से विमुख होकर शान्त मनोभाव से तटस्थ दृष्टि से संसार को देखने की भावना लेते हुए आइये प्रवेश करें आज की वेला में और सदाचारमय विचार ग्रहण करने के लिए उद्यत हों 


कथा मनुष्य के जीवन का अंश है

हमारे पुराण कथात्मक हैं पद्म पुराण की एक कथा इस प्रकार है


(पद्म पुराण के उत्तर खण्ड, अध्याय २०९ में भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी  के बीच एक गूढ़ वार्तालाप है)


एक बार क्षीरसागर में शेषनाग की शय्या पर भगवान् विष्णु विश्राम कर रहे थे। उन्हें इस अवस्था में देखकर देवी लक्ष्मी ने जिज्ञासावश पूछा-


भगवन्! आप सम्पूर्ण जगत् का पालन करते हुए भी अपने ऐश्वर्य के प्रति उदासीन होकर इस क्षीरसागर में नींद ले रहे हैं, इसका क्या कारण है?

इस पर भगवान्  ने उत्तर दिया-

सुमुखि! मैं नींद नहीं लेता हूँ, अपितु तत्त्व का अनुसरण करने वाली अन्तर्दृष्टि के द्वारा अपने ही माहेश्वर तेज का साक्षात्कार कर रहा हूँ।

वे आगे बताते हैं कि यह  महेश्वर से उत्पन्न माहेश्वर तेज योगियों द्वारा अंतःकरण में अनुभव किया जाता है। मीमांसक विद्वानों द्वारा वेदों के सार के रूप में निश्चित किया जाता है।यह एक अजर, प्रकाशस्वरूप, आत्मरूप, रोग-शोक रहित, अखण्ड आनन्द का पुंज, निरीह और द्वैतरहित है।इस जगत का जीवन उसी के अधीन है।


इस प्रकार, भगवान् विष्णु की यह स्थिति बाह्य दृष्टि से निद्रा जैसी प्रतीत होती है, परंतु वास्तव में वे आत्मसाक्षात्कार की गहन अवस्था में स्थित हैं।

माहेश्वर तेज में बुद्धि विचार राग आदि बहुत कुछ है भगवान् विष्णु आगे कहते हैं इस तेजस्विता को गीता के रूप में संसार के समक्ष मैं प्रस्तुत कर चुका हूं

प्रथम पांच अध्याय मेरे पांच मुख हैं दस अध्याय मेरी भुजाएं हैं

हमारे पुराण  वेद उपनिषद् ब्राह्मण आरण्यक गीता मानस अद्भुत हैं हमारा सनातन धर्म अद्भुत है हम इन्हें गहराई से जानने का प्रयास करें और संस्कारों से युक्त होते हुए विशेष बनने की दिशा में अग्रसर हों 

इस समय भी विशेष लोगों की संसार को आवश्यकता है 


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया डा अमित जी का उल्लेख क्यों किया स्वामी रामभद्राचार्य जी का नाम क्यों लिया विमान दुर्घटना और गीता का क्या सम्बन्ध है कल के कार्यक्रम की तैयारी कैसी चल रही है जानने के लिए सुनें