21.6.25

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ कृष्ण दशमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 21 जून 2025 का सदाचार संप्रेषण

 करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी। जिमि बालक राखइ महतारी॥

गह सिसु बच्छ अनल अहि धाई। तहँ राखइ जननी अरगाई॥3॥


प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ कृष्ण दशमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार  21 जून 2025 का सदाचार संप्रेषण

  १४२३ वां सार -संक्षेप

 हम संसार से मुक्त होकर आत्मस्थ होने की  यदि चेष्टा करें तो हमें लाभ मिलेगा

 हम अध्ययन स्वाध्याय चिन्तन मनन लेखन कुछ भी करें उसमें कितना हम रम रहे हैं यह महत्त्वपूर्ण है किसी भी कार्य को यदि हम भक्तिभावपूर्वक करें, तो उसमें हमें केवल कर्तव्य नहीं, अपितु आनंद की अनुभूति भी होगी।  भक्ति से किया गया कार्य साधारण नहीं रहता — वह साधना बन जाता है। उसमें न थकान रहती है, न ऊब, केवल समर्पण, प्रसन्नता और शांति का अनुभव होता है।  

नाम जप अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है

जद्यपि प्रभु के नाम अनेका। श्रुति कह अधिक एक तें एका॥

राम सकल नामन्ह ते अधिका। होउ नाथ अघ खग गन बधिका॥4॥


तुलसीदास जी भगवान् राम के विभिन्न नामों का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि प्रत्येक नाम अपने आप में अद्वितीय और महत्त्वपूर्ण है, लेकिन "राम" नाम उन सभी में सबसे ऊपर है,यह नाम पापों का नाश करने वाला है, जैसे पक्षियों के झुंड के लिए शिकारी l

 यह चौपाई भगवान् के नाम की महिमा और कलयुग में नाम जप के महत्व को दर्शाती है l

कलिजुग जोग न जग्य न ग्याना। एक अधार राम गुन गाना॥

सब भरोस तजि जो भज रामहि। प्रेम समेत गाव गुन ग्रामहि॥3॥


भगवान् राम हमारे इष्ट इसलिए हैं क्योंकि वे मर्यादा, धर्म, करुणा और आदर्श का मूर्त रूप हैं। उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में मर्यादा का पालन किया कठिन परिस्थितियों में भी धर्म से विचलित नहीं हुए स्वयं को समाज और लोकमंगल के लिए अर्पित किया।


सीता हरन तात जनि कहहु पिता सन जाइ।

जौं मैं राम त कुल सहित कहिहि दसानन आइ॥ 31॥


हे तात! सीता हरण की बात आप जाकर पिताजी से न कहिएगा। यदि मैं राम हूँ तो दशमुख रावण कुटुम्ब सहित वहाँ आकर स्वयं ही कहेगा

दशानन कहेगा आपके पुत्र ने मेरा पूरा परिवार नष्ट कर दिया 

यह है रामत्व 

अद्भुत अद्भुत अद्भुत 

निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह। 

इसी रामत्व की हम अनुभूति करें तो हमारे भीतर का तत्त्व जाग्रत होगा

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने नारद का कौन सा प्रसंग बताया (विवाह को रोकना शाप देना जिसके कारण भगवान् राम कष्ट उठा रहे हैं )

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