प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 26 जून 2025 का सदाचार संप्रेषण
१४२८ वां सार -संक्षेप
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने स्थापना काल से ही राष्ट्र निर्माण को एक सकारात्मक, अनुशासित और अहिंसक प्रक्रिया के रूप में देखा है। संघ का दृष्टिकोण रहा है कि देश की प्रगति और समस्याओं का समाधान संगठन, सेवा और आत्मबल के माध्यम से किया जाए, न कि तोड़फोड़ या अराजकता फैलाकर।
२५ जून १९७५ को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित कर दिया और संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बावजूद, संघ ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक संगठित और अहिंसक आंदोलन में भाग लिया। संघ के स्वयंसेवकों ने भूमिगत रहकर आंदोलन का संचालन किया, जिसमें लगभग डेढ़ लाख स्वयंसेवकों ने गिरफ्तारी दी। संघ ने इस संघर्ष को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में 'लोक संघर्ष समिति' के माध्यम से चलाया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि संघ ने देश की बिगड़ी हालत को सुधारने के लिए संगठन और सेवा का मार्ग अपनाया, न कि अराजकता का
संघ ने सदैव संविधान और लोकतंत्र के प्रति अपनी निष्ठा को प्राथमिकता दी है।
आपातकाल में ही अपने विद्यालय का हाई स्कूल का प्रशंसनीय परिणाम निकला जिसमें भैया शशि शर्मा जी की प्रदेश में नवीं पोजीशन आई
आचार्य जी आपातकाल में समाचारपत्र निकालते थे नाम था जनता समाचार जिसके ब्लाक आनन्द आचार्य जी बनाते थे भैया दुर्गेश रस्तोगी जी उसे फेयर करते थे और प्रकाशन करते थे शिवदयाल जी
बाद में आपातकाल पर १७ व्यक्तियों ने पुस्तकें लिखीं जिसमें एक लेखक आचार्य जी थे
पुस्तक का नाम था मुक्ति -यज्ञ
इसके बाद एक और पुस्तक आचार्य जी ने लिखी
युग-पुरुष
आपातकाल में MISA कानून भी आया
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन ने अपनी शक्ति दिखा दी ऐसी अद्भुत है संगठन की शक्ति
इसी संगठन के हम घटक हैं इसी संगठन पर विचार करने के लिए आज सरौंहां में एक कार्यक्रम होने जा रहा है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने ज्ञानेन्द्र आचार्य जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें