जानें बिनु न होइ परतीती। बिनु परतीति होइ नहिं प्रीती॥
प्रीति बिना नहिं भगति दिढ़ाई। जिमि खगपति जल कै चिकनाई॥4॥
प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ शुक्ल द्वितीया विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 27 जून 2025 का सदाचार संप्रेषण
१४२९ वां सार -संक्षेप
डॉ. हेडगेवार का उद्देश्य था कि संघ एक संगठन मात्र न रहकर, एक जीवनशैली, एक संस्कारधारा बन जाए, जो समाज के हर स्तर पर परिलक्षित हो बिना किसी अलग पहचान के। संघ स्वयं को कोई आंदोलन नहीं मानता, अपितु राष्ट्र जीवन के पुनरुत्थान का एक माध्यम मानता है।डॉ. हेडगेवार ने कहा था: संघ को इतना व्याप्त करो कि वह अलग से दिखाई न दे, लेकिन उसके संस्कार पूरे समाज में दिखें।संघ की कार्यशैली मौन, अनुशासित और गृहकार्य के समान है जहां स्वयंसेवक समाज के भीतर रहकर समाज को ही सजग और संगठित करते हैं।
हिन्दू राष्ट्र का अर्थ संघ के अनुसार कोई राजनीतिक राज्य नहीं,यह राष्ट्र सभी के लिए समान है, लेकिन इसका मूल आत्मा सनातन हिन्दू संस्कृति है।संघ का उद्देश्य ही है कि समाज में यह भाव जागे कि उसका हर व्यक्ति यह सोचे कि वे सब हिन्दू राष्ट्र के अंगभूत नागरिक हैं
हिन्दुत्व ही सनातनत्व है और वही संपूर्ण विश्व की प्राणरक्षा का संकल्प है
इसी भाव और विचार के साथ असंख्य कार्यकर्ता समाजहित राष्ट्रहित में जुटे रहे हैं
ऐसा अद्भुत है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिसके पूर्णकालिक कार्यकर्ता प्रचारक कहे जाते हैं जो अपनी क्षमताओं में विशेष होते हैं उनका दायित्व बढ़ता जाता है
ऐसे ही एक विशिष्ट क्षमतासंपन्न पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं श्री कृष्णगोपाल जी जो इस समय संघ के सह सरकार्यवाह हैं कल प्रान्त प्रचारक कौशल जी के साथ सरौंहां आए जहां उनका भव्य स्वागत हुआ उसके पश्चात् एक बैठक हुई जिसमें उनके विचार सुने गए बैठक में आचार्य जी, भैया वीरेन्द्र त्रिपाठी जी भैया मलय जी भैया प्रवीण सारस्वत जी भैया आलोक जी भैया प्रदीप जी भैया अरविन्द जी भैया नरेन्द्र शुक्ल जी सपत्नीक भैया संपूर्ण सिंह जी श्री हरमेश जी भैया मुकेश जी उपस्थित रहे
कृष्णगोपाल जी युगभारती से प्रभावित हुए
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बताया कि भगवान् की कृपा के बिना हम एक कण एक क्षण आगे नहीं बढ़ सकते
निज अनुभव अब कहउँ खगेसा। बिनु हरि भजन न जाहिं कलेसा॥
राम कृपा बिनु सुनु खगराई। जानि न जाइ राम प्रभुताई॥3॥
हे पक्षीराज गरुड़! अब मैं आपसे अपना निजी अनुभव कहता हूँ। (वह यह है कि) भगवान के भजन बिना क्लेश दूर नहीं होते। हे पक्षीराज! सुनिए, श्री रामजी की कृपा बिना श्री रामजी की प्रभुता नहीं जानी जाती ॥3॥
इसके विस्तार में आचार्य जी ने और क्या बताया १३ जुलाई को क्या है जानने के लिए सुनें