प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ शुक्ल पञ्चमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 30 जून 2025 का सदाचार संप्रेषण
१४३२ वां सार -संक्षेप
प्रचंड शक्ति से प्रहार सत्य का प्रचार हो,
अखंड राष्ट्रभक्ति युक्ति बुद्धि से विचार हो,
न हार का न वार का प्यार का विकार हो,
असीम भीमशक्ति शौर्य वृत्ति का उभार हो ।
अखंड हिंदुराष्ट्र का सुचित्र चित्त धार लो,
समग्र हिंदु जाति पंथ ग्रंथ को दुलार लो,
हिमाद्रि बिंध्य सिंधु हिंदुभूमि को निहार लो,
निजी चरित्र शौर्य शक्ति भक्ति से निखार लो ।
कि संघबद्धता बढ़े सुकीर्ति शीर्ष पर चढ़े,
निजात्महीनता कढ़े सुशक्ति बुद्धि पर मढ़े,
समग्र हिंदु बंधु बीच प्रेम-भावना बढ़े,
विरोध द्रोह मोह कोह व्यक्ति व्यक्ति से कढ़े।
स्वयं पुरुषार्थ और पराक्रम का वरण करते हुए और भौतिकता के साथ शौर्यप्रमंडित अध्यात्म की ओर उन्मुखता बनाए रखते हुए भावी पीढ़ी को पुरुषार्थ पराक्रम से युक्त करना और उसे यह बताना कि मात्र भौतिक ज्ञान प्राप्त कर अर्थसंचय का उपकरण बनना उचित नहीं है हम युगभारती के सदस्यों का कर्तव्य है
हम जो भी कार्य करें उसे ईश्वरार्पित करें इससे हमारे भीतर दंभ नहीं आएगा क्योंकि जो कुछ भी संसार में हो रहा है वह ईश्वरीय व्यवस्था के अन्तर्गत हो रहा है
हम इस पर भी ध्यान दें कि हम युगभारती के कितने सदस्यों के परिवार टूट रहे हैं ऐसे परिवार टूटने न पाएं इसका अभियान चलाने की आवश्यकता है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया डा अमित जी भैया डा उमेश्वर जी भैया डा प्रदीप त्रिपाठी जी भैया डा पङ्कज जी भैया दिनेश प्रताप जी भैया संतोष मल्ल जी का नाम क्यों लिया भैया विजय गर्ग जी के पास कौन पहुंचा १२ जुलाई तक का क्या लक्ष्य है जानने के लिए सुनें