मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायणः।।9.34।।
प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 5 जून 2025 का सदाचार संप्रेषण
१४०७ वां सार -संक्षेप
अनेक विकारों जैसे क्रोध, द्वेष, ईर्ष्या, भय आदि का मूल कारण प्रायः भ्रमित विचार होते हैं। जब हम विचारशीलता, आत्मचिंतन और विवेक के साथ जीवन का अवलोकन करते हैं, तो ये विकार धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।
विचारों की शक्ति से भ्रम नष्ट होता है,मन स्थिर होता है,विचार आन्तरिक शुद्धि का साधन हैं। वैचारिक संकल्प से हमारे शरीर में अनेक परिवर्तन संभव हैं शारीरिक व्याधियां भी दूर हो सकती हैं
जब भी हमें अवसर मिले हमें विचार अवश्य ग्रहण करने चाहिए ये सदाचार वेलाएं जो हमें शक्ति और शान्ति प्रदान करने वाला अध्यात्म का वातावरण उपलब्ध कराती हैं हमें यही अवसर प्रदान करती हैं तो आइये इनका लाभ उठाएं और प्रवेश करें आज की वेला में
जब हम किसी अत्यन्त प्रिय और शक्तिसंपन्न व्यक्ति जिसके प्रति हमारा भाव पूर्णरूपेण आश्वस्त रहता है, दुविधाग्रस्त नहीं रहता है,की शरण में जाते हैं तो हम अपने को सुरक्षित अनुभव करते हैं
जितनी दुविधा रहती है उतना ही सांसारिक क्लेश रहता है अर्जुन की इसी दुविधा को दूर करने के लिए भगवान् कृष्ण कहते हैं
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे।।18.65।।
तू मेरा भक्त हो जा, मुझमें ही मनवाला हो जा, मेरा पूजन करने वाला हो जा और मुझे नमस्कार कर। ऐसा करने से तू मुझे ही प्राप्त हो जाएगा -- यह मैं तेरे सामने सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ क्योंकि तू मेरा अत्यन्त प्रिय है।
सब धर्मों का परित्याग करके तुम मेरी ही शरण में आ जाओ, मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूँगा, तुम शोक न करो।।
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम अध्यात्म की विलक्षण शक्ति को पहचानने की चेष्टा करें हम अपनी संस्था के चारों आयामों को याद रखें, उठें जागें और लक्ष्य प्राप्ति तक रुके नहीं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने
अध्यात्म के पारगामी तत्त्वदर्शी व्यक्तित्व श्री माधवराव सदाशिव गोलवलकर जी की किस हस्तरेखा के मिटने की बात बताई भैया मनीष कृष्णा जी से क्या हटाने के लिए आचार्य जी ने कहा भैया प्रवीण सारस्वत जी भैया विभास जी भैया सुनील शिवमङ्गल जी का नाम क्यों लिया अध्यात्म युवावस्था में ही सीखना चाहिए- किसने कहा था जानने के लिए सुनें