प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण कृष्ण तृतीया विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 13 जुलाई 2025 का सदाचार संप्रेषण
१४४५ वां सार -संक्षेप
ये सदाचार संप्रेषण एक जीवंत, प्रबुद्ध और कर्मशील जीवन का आह्वान हैं
आचार्य जी नित्य हमें आत्मकल्याण के साथ समाज और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व का बोध भी कराते हैं
जैसा कि विदित है, आगामी २० एवं २१ सितम्बर २०२५ को ओरछा में आयोजित होने वाले युग -भारती राष्ट्रीय अधिवेशन जिसका मुख्य विषय
स्वावलंबन है अर्थात् स्वयं पर निर्भर रहना। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरों पर आश्रित न होकर अपने ही संसाधनों, क्षमताओं और पुरुषार्थ के द्वारा कार्य करना । (यह आत्मनिर्भरता का भाव है जो व्यक्ति को सम्मान, आत्मविश्वास और स्वतंत्रता प्रदान करता है।)
की तैयारियाँ अत्यन्त उत्साह और गंभीरता के साथ अग्रसर हैं। इन तैयारियों की समीक्षा, चिन्तन विचार एवं सम्यक् नियोजन हेतु साथ ही उत्साह का वातावरण निर्मित करने के लिए आज ओरछा में आयोजन समिति के साथ एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण बैठक संपन्न होने जा रही है, जिसमें कानपुर, लखनऊ आदि नगरों से प्रतिनिधिगण सहभागिता हेतु एकत्र हो रहे हैं।
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि बैठक में सुविचारित ढंग से समय का सदुपयोग होना चाहिए
इसके अतिरिक्त भैया मोहन जी भैया नीरज जी भैया विवेक जी का नाम आचार्य जी ने क्यों लिया जानने के लिए सुनें