18.7.25

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण कृष्ण अष्टमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 18 जुलाई 2025 का सदाचार संप्रेषण १४५० वां सार -संक्षेप

 सम्भूतिञ्च विनाशञ्च यस्तद्वेदोभयं सह।

विनाशेन मृत्युं तीर्त्वा सम्भूत्याऽमृतमश्नुते ॥


(ईशावास्योपनिषद् का १४वां मंत्र जो आध्यात्मिक ज्ञान की परिपक्वता का द्योतक है)


प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण कृष्ण अष्टमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार  18 जुलाई 2025 का सदाचार संप्रेषण

  १४५० वां सार -संक्षेप

यह भगवान् की कृपा है कि आचार्य जी नित्य हमें प्रबोधित कर रहे हैं हमें इसका लाभ उठाना चाहिए

हमारा सनातन धर्म अत्यंत विलक्षण, गूढ़ और समग्र जीवन-दृष्टि से युक्त है। इसमें आश्रम-व्यवस्था, चार पुरुषार्थों की संतुलित साधना जैसे तत्व सम्मिलित हैं, जो जीवन को न केवल लौकिक सफलता की ओर ले जाते हैं, अपितु आत्मोन्नति की दिशा भी प्रदान करते हैं। यह केवल एक पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि मानव जीवन के प्रत्येक स्तर का मार्गदर्शन करने वाली दिव्य प्रणाली है।


दुर्भाग्यवश, आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में इस समृद्ध परंपरा को उपेक्षित कर दिया गया । ग से गमला और गधा पढ़ाया जाने लगा l शिक्षा का उद्देश्य केवल जीविका और नौकरी तक सीमित कर दिया गया, जिससे चरित्र-निर्माण, आत्मचिंतन जैसे महत्त्वपूर्ण पक्ष उपेक्षित हो गए । परिणामस्वरूप, नई पीढ़ी अपने आध्यात्मिक मूल्यों और सांस्कृतिक जड़ों से दूर होती गई

हम भ्रमित हुए अस्ताचल वाले देशों को जब देखा....

कौशल विकास के विद्यालय खोलने पर जोर है  लेकिन यदि उसके साथ जीवनबोध, नैतिकता, संस्कार और आत्मचेतना न जोड़ी जाए तो प्रशिक्षु केवल एक मशीन बनकर रह जाता है,जो काम तो कर सकता है, परंतु क्यों कर रहा है, किसके लिए कर रहा है, इसका बोध नहीं होता। आत्मस्थता का समय ही नहीं मिलता

शान्ति और आनन्द की बात तो बेमानी है

अब समय आ गया है कि हम शिक्षा को केवल अर्थोपार्जन का साधन न मानकर उसे जीवन-परिष्कार का माध्यम बनाएं। सनातन दृष्टिकोण को पुनः व्यवहार, विचार और आचरण में स्थान दें जिससे आत्मबल, विवेक, सेवा-भाव, समाज और देश के प्रति उत्तरदायित्व की भावना जाग्रत हो सके

आचार्य जी जैसे अन्य शिक्षक तैयार हों जो दुविधाग्रस्त न हों जिससे अन्य विद्यालयों में भी युगभारती जैसी संस्थाएं तैयार हों 


इसके अतिरिक्त अर्थ अनर्थ कब बनता है भैया पंकज जी का उल्लेख क्यों हुआ विजय कौशल जी का नाम क्यों आया जानने के लिए सुनें