2.7.25

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ शुक्ल सप्तमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 2 जुलाई 2025 का सदाचार संप्रेषण १४३४ वां सार -संक्षेप

 एक अकेला बैठकर बतलाता सब मौन 

जानें भीतर बैठकर साथ दे रहा कौन


प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ शुक्ल सप्तमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार  2 जुलाई 2025 का सदाचार संप्रेषण

  १४३४ वां सार -संक्षेप


कुतूहलजनक हैं ये सदाचार संप्रेषण जिन्हें नित्य सुनने का यदि हम संकल्प कर लें तो हमें अपने प्रेम आत्मीयता से समृद्ध संगठन जो हमें शान्ति सुख आनन्द देता है के विषय में भी जानकारी मिलेगी योजनाओं से भी हम अवगत होंगे और हमारे भीतर आत्मशक्ति जाग्रत होगी

आचार्य जी हमें परामर्श दे रहे हैं कि हम चिन्तन मनन ध्यान धारणा अध्ययन स्वाध्याय लेखन भक्ति में रत हों 

इन साधनों से हमारा आत्मिक बल बढ़ेगा,हम परिष्कृत और सुसंस्कृत होंगे, विचारशक्ति में निखार आएगा और आन्तरिक स्थिरता प्राप्त होगी।  

यह मार्ग न केवल आत्म-विकास का है, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए भी उपयोगी है।  

नियमित अभ्यास से जीवन सार्थक और सारगर्भित बनता है।


भावयुक्त कार्य का अद्भुत प्रभाव होता है 

प्रेम आत्मीयता का प्रभाव भी विलक्षण होता है इसी कारण हमारा संगठन युगभारती विशिष्ट है

स्वामी रामतीर्थ जब जापान यात्रा पर जा रहे थे, तब एक नवयुवक ने पूछा —  

आपके साथ कौन है?"

स्वामी जी ने मुस्कराकर उत्तर दिया:  

आप ही हैं मेरे साथ।

यह उत्तर केवल एक साधारण वाक्य नहीं था, बल्कि अद्वैत वेदान्त की गहराई से भरा हुआ था।  

स्वामीजी ने उस नवयुवक में भी स्वयं को ही देखा क्योंकि उनके लिए सारा विश्व एक ही आत्मा का विस्तार था।

उनका यह भाव बताता है कि सच्चा संत न केवल ईश्वर को सर्वत्र देखता है, बल्कि हर प्राणी में ईश्वर का अंश अनुभव करता है।

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया प्रदीप जी भैया पुनीत जी भैया अरविन्द जी भैया राघवेन्द्र जी भैया पंकज जी भैया शौर्यजीत जी का नाम क्यों लिया  शौर्य कमजोर होने से क्या हुआ पाटी पूजन की चर्चा क्यों हुई जानने के लिए सुनें