20.7.25

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण कृष्ण दशमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 20 जुलाई 2025 का सदाचार संप्रेषण १४५२ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण कृष्ण दशमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार  20 जुलाई 2025 का सदाचार संप्रेषण

  १४५२ वां सार -संक्षेप

हम संसार की चकाचौंध में भटके नहीं और हम यह समझें कि हम संसार हैं तो संसार से इतर भी हैं, हम धनार्जन करें यशस्विता की चाह रखें किन्तु समाजोन्मुखता और राष्ट्रोन्मुखता बनाए रखते हुए,इस कारण अत्यन्त विषम परिस्थितियों में रहने पर आचार्य जी नित्य हमें व्यवस्थित रूप से प्रभावशाली ढंग से प्रबोधित करते हैं यह हमारा सौभाग्य है हमें इसका लाभ उठाना चाहिए 


जब आत्मबोध असंतुलित हो जाता है  कभी अत्यधिक आत्ममुग्धता या कभी आत्महीनता की ओर  तो व्यक्ति अपनी वास्तविक स्थिति से विचलित हो जाता है। न तो वह अपनी क्षमताओं का सही मूल्यांकन कर पाता है, न ही अपनी सीमाओं को स्वीकार कर पाता है।इसलिए आत्मबोध को संतुलित रखने के लिए नित्य एकान्त का सेवन आवश्यक है एकांत केवल बाह्य नीरवता नहीं, बल्कि आंतरिक शांति का भी अवसर देता है जहाँ हम बिना भटकाव के स्वयं को स्पष्ट देख पाते हैं। यही अभ्यास हमें हमारी यथार्थ पहचान की ओर ले जाता है।

बाक्य - ग्यान अत्यंत निपुन भव - पार न पावै कोई ।


निसि गृहमध्य दीपकी बातन्ह, तम निबृत्त नहिं होई ॥२॥ (विनय पत्रिका)


ज्ञान की बातें करना, या केवल शब्दों में निपुण होना,संसार से पार होने के लिए पर्याप्त नहीं है। जैसे, रात में घर के अंदर दीपक जलाने की बातें करने से  या उसके बारे में व्याख्यान देने से, अंधेरा दूर नहीं होता, जब तक कि वास्तव में दीपक न जलाया जाए। इसी प्रकार, केवल ज्ञान की बातें करने से या उसका बखान करने से, अज्ञान का नाश नहीं होता, जब तक कि हृदय में ज्ञान का प्रकाश न हो।

युगभारती के हम सभी सदस्य विलक्षण हैं अत्यन्त क्षमतासम्पन्न हैं

हम अपने लक्ष्य को विस्मृत न करें राष्ट्र के जाग्रत पुरोहित के रूप में अपने कर्तव्य का पालन करें  संगठित रहते हुए समाज और राष्ट्र के प्रति अपना कार्य व्यवहार आत्मतोष के साथ निर्लिप्त भाव से बिना स्वार्थ के करें 


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया विकास मिश्र जी १९९१, भैया मनीष कृष्णा जी, भैया पवन जी, भैया पंकज जी, भैया पुनीत जी का नाम क्यों लिया पत्रिका के लिए आचार्य जी कौन सा लेख लिख रहे हैं जानने के लिए सुनें