27.7.25

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 27 जुलाई 2025 का सदाचार संप्रेषण १४५९ वां सार -संक्षेप

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण शुक्ल पक्ष  तृतीया विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार  27 जुलाई 2025 का सदाचार संप्रेषण

  १४५९ वां सार -संक्षेप 


यह सदाचार वेला आनंद और उत्साह का स्रोत है। यह वह क्षण है जब हम अपने भीतर की शक्ति, सामर्थ्य और शौर्य की अनुभूति करते हैं। यह जीवन को सही ढंग से जीने की शैली, उचित दिशा और स्पष्ट दृष्टि प्राप्त करने का अवसर है। यही वह समय है जब हम बाह्य हलचलों से ऊपर उठकर आत्मस्थ होने का प्रयास करते हैं  अपने जीवन को सार्थकता और गरिमा से युक्त करने के लिए।

 ऐसी वेलाओं के माध्यम से विषम परिस्थितियों से घिरे रहने के पश्चात् भी आचार्य जी,जो कहते हैं कि विश्वास जीवन का आनन्द है, नित्य हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं यह हमारा सौभाग्य है

हनुमान जी की कृपा से प्राप्त इन सदाचार वेलाओं का हमें लाभ उठाना चाहिए

तो आइये प्रवेश करें आज की वेला में 


तुलसीदास जी कहते हैं  इस कलिकाल में योग, यज्ञ, जप, तप, व्रत और पूजन आदि कोई दूसरा साधन नहीं है। बस, श्री राम जी का ही स्मरण करना, श्री रामजी का ही गुण गाना और निरंतर श्री रामजी के ही गुणसमूहों को सुनना चाहिए


एहिं कलिकाल न साधन दूजा। जोग जग्य जप तप ब्रत पूजा॥

रामहि सुमिरिअ गाइअ रामहि। संतत सुनिअ राम गुन ग्रामहि॥3॥

भगवान् राम के स्मरण का तात्पर्य यही है कि उनका पूरा जीवन प्रारम्भ से लेकर अंत तक संघर्षमय है तो समाधानमय भी है यही जीवन हम लोगों का भी है सदैव विश्वास रखना चाहिए कि यदि संघर्ष हैं तो उनके समाधान अवश्य हैं यह सकारात्मक सोच है

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बताया कि युगभारती एक ऐसा संगठन है जिसमें परिवार का बोध है विचार की असीमित शक्ति है और विश्वास का संबल है इसका स्वरूप शक्तिमय है और स्वभाव भक्तिमय है


जीवन तीन अक्षरों का अद्भुत अनुबन्ध हुआ करता है पंक्ति की व्याख्या करते हुए आचार्य जी ने तीनों अक्षरों का अर्थ बताया

आचार्य जी नित्य हमें अध्ययन और स्वाध्याय का परामर्श देते हैं

भैया उत्कर्ष पांडेय जी आदि के नाम क्यों आए ज्योति बने ज्वाला का क्या तात्पर्य है जानने के लिए सुनें