प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण शुक्ल पक्ष नवमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 2 अगस्त 2025 का सदाचार संप्रेषण
१४६५ वां सार -संक्षेप
किसी भी परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा हो, ऐसे समय में भी यदि हमने कोई नियम संकल्पपूर्वक बनाया है, तो उसका
यथासंभव पालन करने का प्रयास अवश्य होना चाहिए। यही आत्मानुशासन की पहचान है।
अपनी बुद्धि सर्वत्र आसक्तिरहित हो और अपना शरीर अपने वश में हो ऐसा प्रयास भी होना चाहिए स्पृहारहित होना श्रेयस्कर है
आचार्य जी ने बताया कि संगठन सूत्र यदि प्रेम से बंधा है तो उसका आनन्द ही कुछ अलग प्रकार का होता है
परिवार से कुटुम्ब की ओर उन्मुख यह संगठन, जिसने विखंडित समाज को संगठित करने का संकल्प लिया है, निश्चय ही सफलता की पताका फहराएगा।
इसलिए अपने इष्ट पर अटल विश्वास रखें कि जो अनुष्ठान पूर्ण करने का संकल्प हमने लिया है, वह उनकी कृपा से अवश्य पूर्ण होगा। संकल्प की सिद्धि श्रद्धा और धैर्य से ही संभव होती है।
इसके अतिरिक्त नित्यसिद्धशक्ति क्या है
भैया राघवेन्द्र जी भैया अरविन्द जी भैया वीरेन्द्र जी भैया मोहन जी भैया पुनीत जी भैया पङ्कज जी भैया विवेक जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें
<