प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष पञ्चमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 28 अगस्त 2025 का सदाचार संप्रेषण
*१४९१ वां* सार -संक्षेप
"*युगभारती "अर्थात् क्या*
युगभारती पं दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय कानपुर के हम पूर्व छात्रों द्वारा संचालित एक अद्वितीय संस्था है जिसके चार आयाम हैं शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलंबन और सुरक्षा
यह मातृभूमि भारत की मौन भावना का ध्वन्यात्मक प्रतीक है। हमारी यह संस्था संयम, शक्ति, सेवा तथा साधना के दीप से आलोकित एक जाग्रत संकल्प का स्वरूप है।आचार्य जी हमें स्मरण करा रहे हैं कि हम अपना लक्ष्य न भूलें लक्ष्य है अखंड भारतवर्ष जो परम वैभव से युक्त हो की कल्पना को मूर्त रूप देना
हम अपनी संस्था के माध्यम से यह प्रयास करते रहें कि ऐसा भारत बने जिसमें प्रत्येक नागरिक आत्मनिर्भर हो, आन्तरिक शक्ति से परिपूर्ण हो और राष्ट्र के उत्थान के लिए प्रेरित हो।
हमारी संस्था जनमानस में उच्च आदर्शों की प्रतिष्ठा हेतु सतत प्रयत्नशील रहे
आचार्य जी एक ऐसे समाज की परिकल्पना कर रहे हैं जहाँ शिक्षा केवल जानकारी नहीं, अपितु शक्ति का पर्याय बनकर संयमयुक्त जीवन की कथा कहे। प्रत्येक व्यक्ति की भुजा, शौर्य और पौरुष की प्रतीक हो, सुरक्षा हेतु कोई बाह्य सहायता की अपेक्षा न रखी जाए। ऐसी युवाशक्ति का निर्माण हो जो शील, संयम और मर्यादा से युक्त हो,कदाचार से दूरी बनाए, किसी अन्य के गृह में अनधिकृत दृष्टि भी न डाले।
इस आदर्श स्थिति में सम्पूर्ण प्रकृति आनन्दित होकर कल्याणकारी स्वर गाए और वह चेतना, उत्साह और आत्मबल का उद्घोष करे।
आचार्य जी ने सूचित किया कि आज से उन्नाव विद्यालय में त्रिदिवसीय वार्षिक समारोह प्रारम्भ हो रहा है जिसमें आप सब सादर आमन्त्रित हैं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने मैथिली शरण गुप्त का उल्लेख क्यों किया *सूचना* खेल क्या था, अगला अधिवेशन कहां होना चाहिए, प-प क्या है इस अधिवेशन के लिए आचार्य जी ने क्या परामर्श दिया जानने के लिए सुनें