5.8.25

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण शुक्ल पक्ष एकादशी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 5 अगस्त 2025 का सदाचार संप्रेषण १४६८ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण शुक्ल पक्ष  एकादशी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार  5 अगस्त 2025 का सदाचार संप्रेषण

  १४६८ वां सार -संक्षेप


हमारी मातृभाषा हिन्दी न केवल तार्किक है, बल्कि भावनाओं से परिपूर्ण भी है। इसके बावजूद, हम अभी भी भय और भ्रम में जी रहे हैं कि अंग्रेज़ी ही श्रेष्ठ है। तथाकथित शिक्षित वर्ग का मानस इस मानसिक कुंठा से ग्रस्त हो चला है। इस रोग का उपचार करने वाले शिक्षक आज विरले ही दिखाई देते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं— हमारी भाषा के प्रति हमारे मन में योजनाबद्ध रूप से आशंका और हीनता का भाव उत्पन्न किया गया आदि जिसके परिणामस्वरूप हम स्वयं भ्रमित हो गए।

हम भ्रमित हुए अस्ताचल वाले देशों को जब देखा....

हमने अपने धर्मग्रंथों की उपेक्षा की शौर्य प्रमंडित अध्यात्म से विमुख हो गए

ये चिन्ता के विषय हैं और चिन्तन के भी 

इस कारण 


जो जहां है वहीं ज्योति बनकर जले 

उल्लुओं घुघ्घुओं को हमेशा खले 

नित्य प्रातः जगे साधना में पगे 

राष्ट्र -हित जन्मभर शौर्ययुत जगमगे


साधना के लिए हमें मन को केन्द्रित करना होगा 

मन को शांत करना होगा

जब हम प्रकृति के रंग, रूप, लय और मौन से जुड़ते हैं,सूर्योदय का सौंदर्य देखते हैं, वृक्षों की छाया में बैठते हैं, नदी की धारा को निहारते हैं, पक्षियों की चहचहाहट सुनते हैं तो हमारे भीतर का विक्षिप्त और व्याकुल मन शांत होने लगता है। यह शांति केवल बाहरी नहीं होती, वह भीतर तक उतरती है।

प्रकृति, जो परमात्मा की सात्विक रचना है, उसमें कोई छल, प्रदर्शन या विकृति नहीं वह निष्कलंक और संतुलित है। जब हम उससे जुड़ते हैं, तो स्वतः हमारी चेतना भी उस सात्विकता से स्पर्शित होती है। उसी क्षण हमारा मन भूत-भविष्य की चिंता छोड़ कर "अभी और यहीं" में टिकता है यही मन की केन्द्रीयता है, यही है ध्यान की प्रारम्भिक अवस्था।


प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना अर्थात परमात्मा के मूल भाव से जुड़ना यही मानसिक एकाग्रता, संतुलन और आत्मिक शांति का मार्ग है।

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने मानस का कौन सा प्रसंग उठाया, भैया सुलभ सिंह जी, भैया मनीष कृष्णा जी, भैया पङ्कज जी, भैया प्रदीप जी, भैया शुभेन्दु शेखर जी, राम आधार जी का उल्लेख क्यों हुआ, अधिवेशन के विषय में क्या परामर्श है, वर्जनल क्या है जानने के लिए सुनें