7.8.25

प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 7 अगस्त 2025 का सदाचार संप्रेषण १४७० वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण शुक्ल पक्ष  त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार  7 अगस्त 2025 का सदाचार संप्रेषण

  १४७० वां सार -संक्षेप

स्थान : शारदा नगर, कानपुर


यदि अध्ययन और स्वाध्याय का उद्देश्य आत्मिक उन्नति हो, तो वह आत्मानुभूति का मार्ग बनकर गहन आध्यात्मिक आनन्द प्रदान करता है। परन्तु यदि उसका आधार केवल सांसारिक उपलब्धियाँ या भौतिक हित हो, तो वह ज्ञान भी मात्र सांसारिक सुख तक सीमित रह जाता है। अध्ययन की दिशा ही यह निर्धारित करती है कि वह आत्मविकास का साधन बनेगा या केवल व्यवहारिक लाभ का माध्यम।

वर्तमान लेखन में यद्यपि विषयों की विविधता और प्रस्तुति की नवीनता है, तथापि प्रायः उसमें वह गहराई और तात्त्विक दृष्टि नहीं दिखाई देती, जो पूर्वकालीन रचनाओं की विशेषता थी। आज लेखन अधिकतर सूचना प्रधान हो गया है l


कभी हमारा लेखन साधना, अनुभूति और आत्मिक अनुशीलन से उद्भूत होता था। वह मात्र शब्दों का संकलन नहीं, अपितु जीवन के गहनतम सत्यों का सार होता था। गीता जिसका अभिप्रेत केवल युद्ध की परिस्थिति में अर्जुन के मोह का निवारण करना नहीं था, अपितु यह ग्रंथ मानव जीवन के प्रत्येक संघर्ष में मार्गदर्शन करने वाला ग्रंथ है। इसमें कर्म, ज्ञान और भक्ति का समन्वित दर्शन है, जो व्यक्ति को निष्ठापूर्वक कर्तव्यपालन करते हुए आत्मबोध की दिशा में अग्रसर करता है।इसी कारण यह ग्रंथ आज भी उतना ही प्रासंगिक और प्रेरणादायक है, जितना सहस्राब्दियों पूर्व था।इसी तरह उपनिषदों, श्रीरामचरितमानस आदि की रचना लोकमंगल, धर्मबोध और आध्यात्मिक उत्थान की भावना से प्रेरित होकर हुई थी। ऐसे ग्रंथ कालातीत हैं, क्योंकि उनमें जीवन की सार्वभौमिक समस्याओं के समाधान समाहित हैं। भावी पीढ़ी को हम वर्तमान परिस्थितियों के साथ संयुत करते हुए इन ग्रंथों 

के वैशिष्ट्य से परिचित

कराने का उद्देश्य बनाएं, उसे भय और भ्रम से बचाएं, उसे अपने संस्कारों से आप्लावित करें,उसे भौतिकता में अत्यधिक डूबने से बचाएं l


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बताया 

प्रेमचन्द की कहानियां आदर्शोन्मुख यथार्थ की कहानियां हैं

 आचार्य जी ने भैया मोहन जी भैया डा अवधेश तिवारी जी भैया विभास जी के नाम क्यों लिए अधिवेशन के विषय में क्या संदेश दिया मानव कौल की पुस्तक चलता फिरता प्रेत की चर्चा क्यों की जानने के लिए सुनें