15.9.25

प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 14 सितंबर 2025 का सदाचार संप्रेषण *१५०८ वां* सार -संक्षेप स्थान : सरौंहां

 प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज आश्विन कृष्ण पक्ष नवमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार 15 सितंबर 2025 का सदाचार संप्रेषण

  *१५०९ वां* सार -संक्षेप

स्थान : सरौंहां


श्रोता बकता ग्याननिधि कथा राम कै गूढ़।


श्रीराम की गूढ़ कथा केवल एक धार्मिक आख्यान नहीं, बल्कि जीवन के गहरे रहस्यों का उद्घाटन करने वाली एक आध्यात्मिक साधना है। इसके वक्ता और श्रोता साधारण जन नहीं, बल्कि ज्ञान, अनुभव और आत्मबोध के अमूल्य भण्डार होते हैं।  


यह गूढ़ कथा वास्तव में सम्पूर्ण जगत् की कथा है, क्योंकि श्रीराम स्वयं जब जगत् के स्वरूप को धारण कर अवतरित होते हैं, तो उनके जीवन में भी वेदना, संघर्ष और विषमता आती है। 

कथा और व्यथा – इन दोनों का जो आपसी सम्बन्ध है, वही संसार का वास्तविक स्वभाव है। जीवन में कथा और व्यथा  का समन्वय ही मानव अनुभव की पूर्णता को दर्शाता है। जब मनुष्य अपने भीतर के आत्मिक भाव की खोज करता है, तब वह "तत्त्व" की अनुभूति करता है। यही तत्त्वज्ञान – भारत की सनातन परम्परा, इसकी भूमि, संस्कृति और जीवन-दर्शन में अंतर्निहित है।

श्री राम व्यक्तिगत भावनाओं पर कर्तव्य की विजय का उदाहरण  हैं श्री राम ने एक राजा, पुत्र, पति, भ्राता, मित्र और सेनापति के रूप में प्रत्येक भूमिका में कर्तव्यबोध को सर्वोपरि रखा इस प्रकार भगवान् राम की कर्तव्यपरायणता केवल एक गुण नहीं, बल्कि उनके सम्पूर्ण चरित्र का मूलाधार है। वे  दुष्टों और शत्रुओं का संहार करने में निरंतर संलग्न रहे  वे मर्यादा और कर्तव्य के उच्चतम आदर्श हैं।

हमें भी कर्तव्य का उच्चतर आदर्श बनना है जैसे हमने एक कर्तव्य स्वयं अंगीकार किया है कि हम  शौर्य प्रमंडित अध्यात्म की अनुभूति करते हुए राष्ट्र के जाग्रत पुरोहित बनेंगे संपूर्ण विश्व को हम आर्य बनाएंगे तो हमें अपने आर्यत्व को शुद्ध व शक्तिसंपन्न रखते हुए वह कर्तव्यबोध होना ही चाहिए

इन्हीं तत्त्वों विचारों विश्वासों के साथ हम एक एक पग आगे  बढ़ा रहे हैं अब हम ओरछा अधिवेशन के लिए पूर्णरूपेण समर्पित हो जाएं जिसमें हम अपनी संगठित शक्ति का परिचय देने जा रहे हैं 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने अधिवेशन के लिए कुछ परामर्श दिए 

हरावल दस्ता (vanguard )क्या है 

भैया बलराज पासी जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें