प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 19 सितंबर 2025 का सदाचार संप्रेषण
*१५१३ वां* सार -संक्षेप
स्थान : कानपुर
इन सदाचार-संप्रेषणों का उद्देश्य यह है कि हम इनका श्रवण कर अपने अन्तःकरण में निहित शुभेच्छा, सम्यक् वृत्तियों तथा सकारात्मक चिन्तन को जाग्रत कर सके; साथ ही हमारी चित्त-शक्ति का उद्दीपन हो जिससे वह आत्मविकास की दिशा में प्रेरित हो। यह प्रक्रिया आत्म-प्रबोधन की एक सशक्त साधना बन जाती है, जिसके माध्यम से हम अपने मानस में व्याप्त आलस्य, प्रमाद एवं विकारों का परित्याग कर जीवन के कुछ श्रेष्ठ ध्येयों की ओर उन्मुख हो जाते हैं
यह सत्कर्म अबाध गति से चल रहा है यह भगवान् की कृपा है
कल से हमारा अधिवेशन प्रारम्भ हो रहा है जो एक प्रकार से सत्संग है जहां हम लोग सनातनधर्मी समाज को यह दिखाएंगे कि उसे भयभीत भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है हम उसके साथ हैं
समाज, समाज का निर्माता, समाज के पात्र ईश्वर की एक अद्भुत सुविचारित व्यवस्था के अन्तर्गत एक दूसरे से संबद्ध चल रहे हैं और अपने अनुकूल जो व्यक्ति समाज का निर्माण कर लेते हैं उन्हें कर्मशील कर्मठ कर्मयोद्धा कहा जाता है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने अधिवेशन के सम्बन्ध में क्या बताया भैया संतोष मिश्र जी भैया वीरेन्द्र जी भैया मोहन जी भैया मनीष जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें