प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 20 सितंबर 2025 का सदाचार संप्रेषण
*१५१४ वां* सार -संक्षेप
स्थान : ओरछा
आज से ओरछा में अपना अधिवेशन प्रारम्भ होने जा रहा है
जिसका उद्देश्य है कि जो निर्बल जनमानस भ्रमित भयभीत है उसके भय भ्रम को दूर किया जाए उसे बल आत्मविश्वास प्राप्त हो
इस अधिवेशन से जनमानस को स्पष्ट होगा कि केवल सभाएं नहीं होती हैं कुछ कार्य भी होते हैं
आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि हमें विचरण का अभ्यासी होना चाहिए हमारा मन्त्र है
चरैवेति चरैवेति
इस कलियुग में हमें संचारित, सुविचारित, सक्रिय, संगठित होना अनिवार्य है निराशा के भाव तो लगातार आते हैं हमें कुछ क्षण उनसे विमुख होने के निकालने चाहिए हमारे कुछ व्रतबन्ध होते हैं,हम कुछ ऋणों को चुकाने का संकल्प लेते हैं सात्विक रहने का, संयमी रहने का या कर्मशील रहने का उद्देश्य बनाते हैं
कल आचार्य जी ने राजा राम के दर्शन किए और उनसे दिशा दृष्टि मिली तो आचार्य जी के मन में अद्भुत भाव उद्भूत हुए
हम स्वदेश की सेवा का व्रतबंध बाँध फिरते हैं,
उन निर्बल भावों का बल जो बार बार गिरते हैं।
आज ओरछा में कल मथुरा फिर काशी में होंगे,
चरैवेति का मंत्र जाप कर सतत सदा बिचरेंगे।
आचार्य जी ने भैया राघवेन्द्र जी, भैया विवेक जी, भैया अखिलेश तिवारी जी, भैया अक्षय जी,भैया गोपाल जी, भैया शैलेन्द्र पांडेय जी,भैया अशोक तिवारी जी, भैया अखिलेश अग्निहोत्री जी, भैया वीरेन्द्र जी, भैया मोहन जी के नाम क्यों लिए,मथुरा और काशी नामों का उल्लेख क्यों किया,हम युगभारती के सदस्यों को किनसे दिशानिर्देशन लेने की आवश्यकता है जानने के लिए सुनें