प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज आश्विन शुक्ल पक्ष नवमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 1 अक्टूबर 2025 का सदाचार संप्रेषण
*१५२५ वां* सार -संक्षेप
मुख्य विचारणीय विषय क्रम सं ७
व्यथा में रामकथा का आश्रय लें
बूंद -बूंद हंस -हंस कर जीवन जला जनम भर
पर तुम रटते रहे यही अंधियार बहुत है
अपने प्राणों का रस केवल तुम्हें पिलाया
तुम दीवाने रहे कि अपने यार बहुत हैं
बूंद -बूंद.....
दुनिया का दस्तूर मानकर मैं भी चुप हूं..
*धरती पर खुद्दार बहुत हैं* दूसरी कविता 'अपने दर्द मैं दुलरा रहा हूं '
यहां एक संवेदनशील कवि की व्यथा झलकती है, जो जीवन भर अपने अस्तित्व को धीरे-धीरे, बूंद-बूंद कर जलाता रहा जैसे कोई दीपक, जो सबको उजाला देता है, पर स्वयं जलता रहता है। वह व्यक्ति जीवन भर हँसते हुए अपने कष्टों को सहता रहा और अपनी ऊष्मा, अपनी मिठास दूसरों को अर्पित करता रहा।
किन्तु सामने वाला व्यक्ति इस त्याग, इस पीड़ा, इस समर्पण को समझने के बजाय केवल यह कहता रहा कि "अंधेरा बहुत है", उसे दिया गया प्रकाश कभी पर्याप्त नहीं लगा। वह तो अपने भ्रम में डूबा रहा कि उसे तो बहुतों का साथ प्राप्त है। आचार्य जी एक दीपक के रूप में अंधकार मिटाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं आचार्य जी चाहते हैं कि हम अपने संगठन का विस्तार प्रेम और आत्मीयता के आधार पर करें सांसारिकता में उलझकर संगठन में एक दूसरे पर दोष मढ़ना आरोप लगाना हानिकारक है इससे बचें हमारे व्यवहार में शालीनता मृदुता भी आवश्यक है
हम भी जब व्यथित हों कष्टों में फंस गए हों तो हमें रामकथा का आश्रय लेना चाहिए
राम अनंत अनंत गुन अमित कथा बिस्तार।
सुनि आचरजु न मानिहहिं जिन्ह कें बिमल बिचार॥ 33॥
भगवान् राम की सत्ता अनंत है, उनके गुणों की कोई सीमा नहीं है और उनकी जीवन-लीला इतनी व्यापक है कि उसका संपूर्ण वर्णन संभव ही नहीं।
रामचरितमानस एहि नामा। सुनत श्रवन पाइअ बिश्रामा॥
केवल वही व्यक्ति इस सत्य को समझ सकता है जिसके मन में शुद्ध और सुसंस्कृत विचार हैं। जिन्हें आत्मिक अनुभूति नहीं हुई, उन्हें यह सब असंभव या अतिशयोक्ति लग सकता है, परंतु जिनका चित्त निर्मल है, उन्हें यह दिव्यता स्वाभाविक प्रतीत होती है।
शंकाशील व्यक्ति कभी रामकथा नहीं सुन सकता इसके लिए अंतःकरण की शुद्धता अत्यन्त अनिवार्य है जो आश्वस्त है विश्वस्त है समर्पित है वही इस कथा को सुन सकता है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मनीष कृष्णा जी भैया शुभेन्दु शेखर जी का उल्लेख क्यों किया जानने के लिए सुनें