25.10.25

प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 25 अक्टूबर 2025 का सदाचार संप्रेषण *१५४९ वां* सार

 उठो कि, शौर्य शक्ति का पुनः यजन करो, 

विभर्त शक्तिमंत्र का सतत भजन करो ।


प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज कार्तिक  शुक्ल पक्ष चतुर्थी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार 25 अक्टूबर 2025 का सदाचार संप्रेषण

  *१५४९ वां* सार -संक्षेप


मुख्य विचारणीय विषय क्रम सं ३१

साधना साधना के लिए करें न कि सिद्धि के लिए फल का व्यामोह तज कर्तव्य -पथ पर अग्रसर हों


हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म भारत की दिव्य भूमि पर हुआ है, जहाँ  भगवान् राम,भगवान् कृष्ण और भगवान् शिव ने लीलाएं की हैं। यह क्षेत्र सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत अद्भुत और पवित्र है हमें सुंदर शरीर, श्रेष्ठ वंश-गोत्र, सुशील मित्रों का संग  मिला है। हमारे जीवन में भोजन और प्रसन्नता के लिए सभी संसाधन भी सहज रूप से उपलब्ध हैं। यह सब ईश्वर की अनुकम्पा है, जिन्होंने यह सब प्रदान किया।


फिर भी, यह दुःखद है कि हम इन सबका मूल्य न समझते हुए अकारण दुःखी  रहें इसलिए जो कुछ हमें मिला है, उसके प्रति आभार प्रकट करते हुए जीवन को सार्थक दिशा में अग्रसर करना चाहिए।हमें सकारात्मक सोच रखनी चाहिए l राष्ट्र के आनन्दमय पक्ष का आनन्द उठाएं आत्मबोध को हम महत्त्व दें किन्तु शक्तिशोध को भूलें नहीं क्योंकि इस समय भी परिस्थितियां अत्यन्त विषम हैं l भारत के समस्यामय पक्ष का चिन्तन और  उसके समाधान के लिए प्रयास भी आवश्यक है किसी भी कार्य को समर्पित भाव से करें तो हमें विघ्न पता ही नहीं चलेंगे l


मनुष्य जन्म और दिव्य भरतखण्ड में, 

सुरम्य क्षेत्र राम श्याम शिव प्रखंड में, 

सुरूपमय शरीर वंश गोत्र सब प्रशम

सुसभ्य मित्रमंडली कोई न रंच कम,

उदारता स्वभाव में प्रभाव तोषमय, 

सुलक्ष्य अन्नकोष का आनन्द कोषमय, 

दिया परमपिता ने यह सभी प्रसन्न हो, 

कदर्यता को ओढ़ मूढ़ क्यों रहा है रो।


 इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया विभास जी भैया डा मलय जी का उल्लेख क्यों किया अन्नप्राशन कार्यक्रम की चर्चा क्यों हुई प्रेमभूषण जी महाराज के स्वास्थ्य के विषय में आचार्य जी ने क्या बताया जानने के लिए सुनें