26.10.25

प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज कार्तिक शुक्ल पक्ष पञ्चमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 26 अक्टूबर 2025 का सदाचार संप्रेषण *१५५० वां* सार -संक्षेप

 हिंदु युवकों आज का युग धर्म शक्ति उपासना है ॥


बस बहुत अब हो चुकी है शांति की चर्चा यहाँ पर

हो चुकी अति ही अहिंसा सत्य की चर्चा यहाँ पर

ये मधुर सिद्धान्त रक्षा देश की पर कर ना पाए

ऐतिहासिक सत्य है यह सत्य अब पहचानना है ॥


प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज कार्तिक  शुक्ल पक्ष पञ्चमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार 26 अक्टूबर 2025 का सदाचार संप्रेषण

  *१५५० वां* सार -संक्षेप


मुख्य विचारणीय विषय क्रम सं ३२

शक्ति उपासना को अपना सिद्धान्त बनाएं


हमारे यहां दीर्घ काल तक सत्य, अहिंसा और शांति जैसे मधुर आदर्शों की चर्चा होती रही है, परंतु जब राष्ट्र और धर्म संकट में हों, तब केवल इन आदर्शों की बात करना व्यावहारिक नहीं रह जाता।यद्यपि ये सिद्धान्त अपने आप में महान् हैं, परन्तु जब देश पर आक्रमण होता है या धर्म पर संकट आता है, तब मात्र उपदेश से उसकी रक्षा नहीं हो सकती। 

इतिहास भी यह सिद्ध कर चुका है कि अत्यधिक सहनशीलता और  अहिंसा के कारण अनेक बार हमारी अस्मिता पर आघात हुआ है। इसीलिए अब समय आ गया है कि हम सनातन धर्म के अनुपालक युवक बहुमुखी शक्ति की उपासना करें शक्ति विकृत न करें अर्थात् उसका दुरुपयोग न करें शक्ति संचय को महत्त्व न देकर उसे व्यवहार में प्रदर्शित करें , अपने धर्म और देश की रक्षा हेतु सजग और सन्नद्ध हों, इतिहास के उन कटु सत्यों को पहचानें और उनसे सीख लें।

तुलसीदास जी ने भी इसी के लिए हमें प्रेरित किया उन्होंने भगवान् राम से धनुष बाण कभी नहीं छुड़वाया 

पद-कंजनि मंजु बनी पनहीं धनुहीं सर पंकज पानि लिए। लरिका सँग खेलत डोलत हैं, सरजू-तट चौहट हाट हिए॥ (कवितावली )


इसके अतिरिक्त रोगी और भोगी में आचार्य जी ने कैसे अन्तर स्पष्ट किया,डॉ संकटा प्रसाद जी और नसेड़ी का क्या प्रसंग है, कौन नकल करवा देता था,cocktail का उल्लेख क्यों हुआ, सोनिया गांधी ने किसे जेल में डलवा दिया था जानने के लिए सुने