23.11.25

प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष तृतीया विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 23 नवंबर 2025 का सदाचार संप्रेषण *१५७८ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज मार्गशीर्ष  शुक्ल पक्ष तृतीया विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार 23 नवंबर 2025 का सदाचार संप्रेषण

  *१५७८ वां* सार -संक्षेप


मुख्य विचारणीय विषय क्रम सं ६०


कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार। साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।।


कटु वाणी सबसे बुरी होती है, यह व्यक्ति के भीतर की सारी शांति और सहजता को जला देती है। अतः ऐसी वाणी कभी न बोलें इसके विपरीत, साधु पुरुषों की वाणी  जो जल के समान शीतल और अमृत के समान मधुर होती है, जो शांति और सुख प्रदान करती है, की भांति बोलें



प्रभातकाल में यदि हमारा अध्ययन, स्वाध्याय, चिन्तन, मनन जाग्रत हो जाए तो वह ब्रह्मवेला उत्साह मङ्गल सङ्कल्पसिद्धि की वेला बन जाती है

भाव, विचार और क्रिया का सामञ्जस्य करने के लिए यह वेला उत्तम है तो आइये इन्हीं अनुभूतियों के लिए प्रवेश करें आज की वेला में 



राम का रामत्व ही संसार का शिवतत्व है

और शिव का रौद्रदर्शन राम का ब्रह्मत्व है

राम रम जाते जहाँ जिस जीव के शिवप्राण में

बस, वहीं समझो उसी में ब्रह्मवाही तत्व है



राम जो अप्रतिम प्रेम,संयम,समर्पण,सेवा,शौर्य,शक्ति,सामर्थ्य का विग्रह हैं 


कागर-कीर ज्यौं भूषन-चीर सरीर लस्यौ तजि नीर ज्यौं काई।

मातु-पिता प्रिय लोग सबै सनमानि सुभाय सनेह सगाई॥


संग सुभामिनि भाई भलो, दिन द्वै जनु औध हुतै पहुनाई।

राजिव लोचन राम चले तजि बाप को राज बटाऊ की नाई॥



सुग्गों के पंख जैसे वस्त्राभूषण त्यागने के पश्चात् जिनका स्वरूप ऐसा प्रतीत हुआ जैसे जल से काई हट जाने पर वह निर्मल हो जाता है ऐसे राम। माता-पिता और प्रियजनों का स्वाभाविक रूप से सम्मान कर, सुंदर पत्नी सीता और प्रिय भाई लक्ष्मण को साथ लेकर, जैसे अयोध्या में दो दिन के अतिथि हों, वैसा भाव लेकर वनगमन के लिए  जो चल पड़े ऐसे राम

जो राग को अनुराग तक ले गये और फिर विराग में उसका समापन कर दिया ऐसे राम का रामत्व ही संसार के कल्याण का मूल तत्व है और शिव का रौद्र रूप राम के ब्रह्मस्वरूप को प्रकट करता है। जब कोई जीव अपने हृदय में कल्याण करने वाले भावों में राम को अनुभव करता है, तो वहीं ब्रह्म का साक्षात् वास होता है।



इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने लखनऊ में आज होने जा रही युगभारती बैठक की चर्चा की जिसमें संगठन पर विचार -विमर्श किया जाएगा,संगठन और एकत्रीकरणा में अन्तर को आचार्य जी ने कैसे स्पष्ट किया, जंगम तीर्थ किसके लिए कहा जानने के लिए सुनें