28.11.25

प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष अष्टमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 28 नवंबर 2025 का सदाचार संप्रेषण *१५८३ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज मार्गशीर्ष  शुक्ल पक्ष अष्टमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार 28 नवंबर 2025 का सदाचार संप्रेषण

  *१५८३ वां* सार -संक्षेप


मुख्य विचारणीय विषय क्रम सं ६५

श्री रामचरित मानस कथा सुनें और अपने भीतर रामत्व का प्रवेश कराएं  क्योंकि रामत्व पौरुष पुरुषार्थ पराक्रम और अन्याय के हनन वाले साधन का प्रतीक हैl ऋषि अत्रि भी भगवान् राम के लिए कहते हैं

प्रलंब बाहु विक्रमं। प्रभोऽप्रमेय वैभवं॥

निषंग चाप सायकं। धरं त्रिलोक नायकं॥3॥

आपकी लंबी भुजाओं का पराक्रम और आपका ऐश्वर्य बुद्धि के परे है। आप तो तरकस और धनुष-बाण धारण करने वाले तीनों लोकों के स्वामी हैं l




श्री रामचरितमानस में ऐसा जीवन-दर्शन प्रस्तुत किया गया है जिसमें यह स्पष्ट होता है कि सीमित साधनों में भी महान् कार्य संपन्न किए जा सकते हैं। भगवान् राम जब अयोध्या से वनवास के लिए प्रस्थान करते हैं, तो वे किसी विशाल सेना या राजकीय वैभव के साथ नहीं जाते। उन्होंने केवल धर्म, सत्य, संयम और आत्मबल के आधार पर जीवन की चुनौतियों का सामना किया।उनका जीवन दर्शाता है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो, मार्ग धर्ममय हो और संकल्प दृढ़ हो, तो साधनों की कमी कोई बाधा नहीं बनती। मानस इसी आत्मबल, साधना और पुरुषार्थ का प्रेरक ग्रंथ है। इसके सात काण्डों में *अरण्यकाण्ड* को विशेष महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है, यद्यपि प्रत्येक काण्ड का अपना स्थान है अरण्य काण्ड में  भगवान् राम का वनवास,मां सीता का हरण, राक्षसी विभीषिकाएँ और विपरीत परिस्थितियाँ दर्शाई गई हैं, जो मानव जीवन के संकटों का प्रतीक हैं। यहां कठिन परिस्थितियों में धर्म, संयम और धैर्य से निर्णय लेते हुए दिखाया गया है। इसका प्रतीकात्मक संदेश यह है कि जीवन एक अरण्य (जंगल) की तरह है, जहाँ विविध प्रकार के प्रलोभन, भय और कष्ट आते हैं, परंतु यदि पुरुषार्थ और विवेक से चलें, तो मार्ग भी निकलता है यही वह काण्ड है जहाँ से राम एक राजपुत्र से लोकनायक और तत्पश्चात् पुरुषोत्तम के रूप में उभरते हैं यह कांड जीवन-दर्शन और संघर्ष की दृष्टि से अत्यंत गूढ़ और शिक्षाप्रद है। इसका संदेश है कि भारत का एक एक राष्ट्र -भक्त शक्तिसंपन्न बनना चाहिए उसे संगठित रहना चाहिए ताकि भारत शक्तिसंपन्न बन सके वैभवशाली बन सके


राम -पथ को सुन्दर स्वरूप देने के सम्बन्ध में आचार्य जी ने क्या कहा ऋषि अत्रि की पत्नी मां अनसूया का उल्लेख क्यों हुआ भैया डा प्रमोद जी की चर्चा क्यों हुई  किसने कहा कि मानस की चौपाइयां मन्त्र हैं जानने के लिए सुनें