प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 6 नवंबर 2025 का सदाचार संप्रेषण
*१५६१ वां* सार -संक्षेप
मुख्य विचारणीय विषय क्रम सं ४३
भावी पीढ़ी कों बताएं कि हमारा अतीत वीरता और पराक्रम से परिपूर्ण रहा है। उन्हें समझाएं कि हमारे पूर्वजों ने साहस, दृढ़ता और आत्मबल के साथ अनेक कठिन परिस्थितियों का सामना किया और गौरवशाली इतिहास की रचना की।
इस संसार में जहाँ एक ओर विकार हैं, वहीं सार और तत्त्व भी विद्यमान हैं। जो व्यक्ति इन दोनों के बीच सम्यक् संतुलन स्थापित करते हुए जीवन पथ पर अग्रसर होते हैं, वे ही वास्तव में योग्य और विचारशील कहलाते हैं। हमें समाज के प्रति उत्तरदायित्व को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
हमारी संस्था 'युगभारती' की भी यही मूल दृष्टि है। किसी भी संस्था के लिए प्रेम, आत्मीयता और परस्पर विश्वास अत्यन्त आवश्यक तत्त्व हैं। इनका अभाव नहीं होना चाहिए तथा इनके संरक्षण का सदैव प्रयास होना चाहिए।
जैसा हम जानते हैं हमारी संस्था युगभारती के स्वास्थ्य प्रकल्प के अन्तर्गत *स्वस्थ भव- युगभारती स्वास्थ्य परामर्श केन्द्र* का आरम्भ होने जा रहा है। (आगामी शनिवार दिनांक 8 नवम्बर को शाम 5 बजे *प्रथम स्वास्थ्य परामर्श केन्द्र स्वरुप नगर कानपुर में शुभारम्भ पूजन है*)
यह प्रकल्प सफल हो ऐसी कामना हम सब करते हैं
समाज की प्रकृति अत्यन्त विचित्र है। जब कोई व्यक्ति / प्रकल्प सफल होता है, तो समाज उससे किसी-न-किसी रूप में लाभ उठाना चाहता है; लेकिन जब वही व्यक्ति / प्रकल्प असफल हो जाता है, तो समाज उसे तिरस्कृत करता है, उसे दबाने और उसकी निन्दा करने में संकोच नहीं करता। ऐसे विस्मयकारी समाज में सम्मान बनाए रखना एक कठिन कार्य है। इसलिए विवेकपूर्वक चिन्तन आवश्यक है समाज सेवा करते समय अपने मनोबल को दृढ़ बनाए रखना भी आवश्यक होता है। इसके लिए नियमित रूप से हमें अध्ययन, स्वाध्याय, लेखन तथा व्यायाम आदि का अभ्यास करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने गांधी जी और नेहरू जी की क्या अच्छाइयां बताईं भैया पुनीत जी भैया मनीष जी भैया वीरेन्द्र जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें