स्वतंत्रता के भीषण रण में
लखकर जोश बढ़े क्षण क्षण में
काँपे शत्रु देखकर मन में
मिट जावे भय संकट सारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा
प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज पौष कृष्ण पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 5 दिसंबर 2025 का सदाचार संप्रेषण
*१५९० वां* सार -संक्षेप
मुख्य विचारणीय विषय क्रम सं ७२
जनमानस में राष्ट्र -भक्ति, सनातन धर्म के प्रति अनुरक्ति की भावना जाग्रत हो जाए
हम इस जागृति के लिए हर संभव प्रयास करें
प्रभात काल की इस अद्भुत वेला का चिन्तन समस्याओं को सुलझाने के लिए है हमें प्रेरणा देने के लिए है हमें सदाचारमयी विचारों से आप्लावित करने के लिए है ताकि हमारे राष्ट्र-निष्ठा से परिपूर्ण समाजोन्मुखी व्यक्तित्व का उत्कर्ष हो सके तो आइये प्रवेश करें आज की वेला में
केवल प्राणों का परिरक्षण जीवन नहीं हुआ करता है
जीवन जीने को दुनिया में अनगिन सुख सुर साज चाहिए......
यह जीवन रचनाकर्ता की एक अनोखी अमर कहानी
इसमें रोज बिगड़ते बनते हैं दुनिया के राजा रानी
जीवन सुख जीवन ही दुःख है जीवन ही है सोना चांदी
जीवन ही आबाद बस्तियां जीवन ही जग की बरबादी
जीवन तीन अक्षरों का अद्भुत अनुबन्ध हुआ करता है
केवल प्राणों का..
परमात्मा की कृपा से ही हमें मनुष्य का जीवन प्राप्त हुआ है
इसमें प्रतिदिन परिस्थितियाँ परिवर्तित होती रहती है चिरस्थायी कुछ नहीं होता l यह जीवन सुख और दुःख दोनों का समन्वय है। मनुष्य का जीवन केवल जीवित रहने की क्रिया नहीं, बल्कि उसे ऊँचे आदर्शों, संवेदनाओं, रसों और सर्जना के माध्यम से पूर्णता देना ही उसका वास्तविक उद्देश्य है यह जीवन ईश्वर की एक अनुपम दिव्य रचना है। हमें इसकी अनुभूति होनी चाहिए अध्ययन स्वाध्याय चिन्तन मनन लेखन भारत मां के भक्तों के मध्य प्रेम आत्मीयता सद्भाव के वातावरण के निर्माण द्वारा हम इसका सदुपयोग कर सकते हैं
हम अपने उद्देश्य का ध्यान रखें राष्ट्र को वैभवशाली बनाना हमारा कर्तव्य है l
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया नीरज कुमार जी का उल्लेख क्यों किया
वह कौन था जो पहले स्वर्ग में तुंबुरु नामक एक गंधर्व था।जो रंभा नाम की अप्सरा पर मोहित हो गया था और उचित मर्यादा का उल्लंघन करने के कारण जिसे शाप मिला था। जिस शाप के फलस्वरूप वह राक्षस योनि में जन्मा जो भगवान् श्रीराम द्वारा वध किए जाने पर अपने पूर्व स्वरूप को प्राप्त हुआ जानने के लिए सुनें