15.11.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 15 नवम्बर 2023 का सदाचार संप्रेषण *839 वां* सार -संक्षेप

 बिबुध बिप्र बुध ग्रह चरन बंदि कहउँ कर जोरि।

होइ प्रसन्न पुरवहु सकल मंजु मनोरथ मोरि॥14 छ॥


देवता, ब्राह्मण, पंडित, ग्रह-नक्षत्र इन सभी के चरणों की वंदना करके हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ कि आप प्रसन्न होकर मेरे सारे सुंदर मनोरथों को पूर्ण करें


गुर पितु मातु महेस भवानी। प्रनवउँ दीनबंधु दिन दानी॥


प्रस्तुत है उदारधी ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 15 नवम्बर 2023 का सदाचार संप्रेषण
  *839 वां* सार -संक्षेप

 1 अत्यन्त बुद्धिमान्


अत्यन्त अद्भुत गुरु शिष्य की परंपरा अभी भी भारतवर्ष में जीवित है


ॐ सह नाववतु ।
सह नौ भुनक्तु ।
सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
दीनदयाल विद्यालय, जो पं दीनदयाल जी की अधूरी साधना को पूर्ण करने के लिए स्थापित हुआ था,से प्रारम्भ ये सदाचार वेलाएं भी इसी गुरु शिष्य परम्परा को परिलक्षित कर रही हैं
आचार्य जी प्रतिदिन प्रयास करते हैं कि विश्व -शान्ति की परिकल्पना के आधार भक्ति शक्ति शान्ति शौर्य पराक्रम कर्मनिष्ठा राष्ट्र-प्रेम आदि गुण हमारे मन में बस जाएं और हमारी बुद्धि की क्षमता प्रपंचों के कारण विकृत न हो और बुद्धि तर्क से परे होकर इनको ग्रहण कर ले
 ये गुण संसार में रहने के लिए जूझने के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं
हमें आत्मशक्ति का अनुभव कराना आचार्य जी के मुख्य लक्ष्यों में एक है
विषम परिस्थितियों में तुलसीदास जी के अन्दर जो भाव उत्पन्न हुए श्रीरामचरित मानस उसी का परिणाम है
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि शाबर मन्त्र के बारे में अधिक जानने के लिए हम बालकांड में पन्द्रहवें दोहे के पहले की ग्यारह चौपाइयां देखें
भगवान् शिव भगवान् राम के सेवक सखा और स्वामी तीनों हैं ऐसा तुलसीदास जी ने दर्शाया
जिनमें भक्ति का भाव होता है वे सब लोग इन्हें आसानी से समझ लेते हैं
राक्षसी लोगों के तर्क सही नहीं होते
जैसे माता लक्ष्मी पर विवादित बयान इस समय चर्चित है
क्या ऐसे लोग किसी अन्य पंथ की अटपटी कथाओं के विषय में बोल पाएंगे
हमें भी अपना वह रूप दिखाना होगा कि ऐसी विकृत मानसिकता के लोग हम वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव रखने वाले सनातन धर्म के अनुयायी भारतीय संस्कृति के भक्त भारतीय परम्परा के वाहक लोगों से डरें
ऐसे लोग तब डरेंगे जब हम संगठित सशक्त बुद्धिसंपन्न विचारसंपन्न होंगे भय भ्रम से मुक्त होंगे
नई पीढ़ी को भी जागरूक करने की आवश्यकता है

इसके अतिरिक्त आचार्य जी आज कहां जा रहे हैं भैया पंकज जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें