आनन्दित रहने हेतु आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हम लोग प्रातःकाल दीक्षक आचार्य श्री ओम शंकर जी की सदाचार वेला की प्रतीक्षा करते हैं
प्रस्तुत है आज दिनांक 04/10/2021 का सदाचार आभाषण
ब्रह्म क्या है? इस विषय को विस्तार देते हुए आचार्य जी ने
यतो वा इमानि भूतानि जायन्ते । येन जातानि जीवन्ति ।
यत् प्रयन्त्यभिसंविशन्ति । तद्विजिज्ञासस्व । तद् ब्रह्मेति ॥ - तैत्तिरीयोपनिषत् ३-१-३
की व्याख्या की और बताया कि आरण्यक इसी ब्रह्म को जानने की ऋषियों की अनुभूतियां हैं
यज्ञ का स्थूल रूप भी लाभदायक है
यज्ञ दान तप त्रिविध पुरुषार्थ हैं
यह भाव सदैव रहना चाहिए कि मेरा कुछ नहीं है
इसी भाव को लिए आजीवन समर्पण के उदाहरण हैं
नानक, रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द, सुभाष चन्द्र बोस दीनदयाल आदि
आचार्य जी ने भारत की महत्ता दर्शातीं ये कविताएं सुनाईं
तपस्या, त्याग,संयम, शील का शुभनाम भारत है ,
समर्पण, सत्य, सेवा साधना का नाम भारत है ,
ये भारतवर्ष केवल भूमि का टुकड़ा नहीं प्यारे ,
समूचे विश्व भर की चेतना का नाम भारत है ।
✍️ओम शंकर
कि, गंगा और गीता गाय का पर्याय भारत है ,
कि, श्रीमद्भागवत का प्रिय दशम अध्याय भारत है,
कि, भारत भूमि का सुर स्वर्ग है ध्रुव सत्य यह ही है ,
कि, जीवन-मुक्ति-पथ का एकमेव उपाय भारत है ।।
✍️ओम शंकर
परामर्श :
प्रकृति का दर्शन करें
संस्कृति का सृजन करें
विकृति का वर्जन करें
दीनदयाल विद्यालय प्रबन्धकारिणी समिति के अध्यक्ष श्री योगेन्द्र भार्गव जी ने आचार्य जी को कल फोन क्यों किया? सच्चिदानन्द क्या है?
जानने के लिए सुनें